रेगुलर और डिस्टेंस मोड का फर्क ख़त्म : यूजीसी
ऑनलाइन , ओपन एजुकेशन से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा को रेगुलर मोड से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा के बीच का भेद यूजीसी ने ख़त्म कर दिया गया | हालाकि पहले भी...
ऑनलाइन , ओपन एजुकेशन से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा को रेगुलर मोड से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा के बीच का भेद यूजीसी ने ख़त्म कर दिया गया | हालाकि पहले भी...
ऑनलाइन , ओपन एजुकेशन से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा को रेगुलर मोड से प्राप्त डिग्री , डिप्लोमा के बीच का भेद यूजीसी ने ख़त्म कर दिया गया | हालाकि पहले भी ये रहा है की मान्यता प्राप्त संस्थानों से छात्रों को डिग्री , डिप्लोमा मिलता रहा है और वो सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में काम भी कर रहे है |
पर कई बार विद्यार्थियों में ये भ्रम की स्थिति बनी रहती थी की क्यां वो डिस्टेंस मोड से मास्टर्स कर के आयेंगे तो उन्हें जेएनयू , बीएचयू जैसे संस्थानों में शोध या आगे की पढाई के लिए जगह मिलेगी या नही | पर ये भ्रम आज यूजीसी ने दूर कर दिया है |
शिक्षा पर क्या फर्क पड़ेगा - दूर दराज से आने वाले वंचित वर्ग के बच्चे जो रेगुलर शिक्षा के लिए आवश्यक पैसा नही जुटा पाते थे और आधुनिक शहरो की चकाचौंध में खो जाते थे उन्हें अपने घर पर रहते हुए अच्छी शिक्षा मिल पाएगी | इसके अलावा शिक्षा में जो ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो है वो भी बढेगा | साथ ही साथ दूर दराज के छात्रो को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी |
शिक्षको के लिए क्या है - ऑनलाइन और ओपन या डिस्टेंस लर्निंग के रेगुलर मोड के बराबर हो जाने से उन शिक्षको को राहत मिलेगी जो इन संस्थानों में कम तन्खाव्ह पर काम करते है | इसके अलावा बहुत सी महिला शिक्षिका जो रेगुलर की जगह अपने घर से ऑनलाइन एजुकेशन में अच्छा महसूस करती थी उनको भी काम मिलेगा |
चुनौती क्या है - सबसे बड़ी चुनौती सस्ता और सर्व सुलभ इन्टरनेट और स्मार्ट फ़ोन है जो ऑनलाइन के लिए आवश्यक है | सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है और फाइव जी नेटवर्क आने के बाद न सिर्फ ऑनलाइन एजुकेशन बल्कि ऑनलाइन यूनिवर्सिटी का भी चलन बढ़ जाएगा | इस तरह की शिक्षा में प्रैक्टिकल का ध्यान रखना होगा जिससे की जो भी बाहर निकले उसके पास पूरी शिक्षा हो |
एक समर्थ विद्यार्थी ही समाज को आधार देता है, इसलिए उनको स्किल से लेकर फिलोसोफी सब की अच्छी शिक्षा से ये हासिल किया जा सकता है |