अपना दल जिला कार्यालय में मनाया गया सावित्री बाई फुले की जयंती

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अपना दल जिला कार्यालय में मनाया गया सावित्री बाई फुले की जयंती


वाराणसी। कैंट थाना क्षेत्र के मीरापुर बसहीं स्थित अपना दल के जिला कार्यालय में रविवार को धूमधाम से माता सावित्री बाई फुले कि जयन्ती मनाई गई। इस दौरान माता सावित्री बाई फुले के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार व्यक्त करते हुए अपना दल के जिलाध्यक्ष उमेश चन्द्र मौर्य समेत अन्य वक्ताओं ने बताया कि भारत की प्रथम महिला प्राचार्या, समाज लसुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। तथागत महामानव गौतम बुद्ध के धम्म मार्ग को आगे बढ़ाने के लिए जी जान की बाजी लगा दी।

वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए अनेकों विद्यालयो की स्थापना की। उस समय कितनी मुसीबतों का सामना करते हुए धर्म के ठेकेदारों व अपने ही परिवार के लोगों ने समाज से बाहर कर दिया, परंतु शिक्षा का प्रचार प्रसार का मार्ग नहीं छोड़ा। इसीलिए बाबा साहब के प्रथम गुरु सावित्रीबाई फुले दंपत्ति, पेरियार रामास्वामी नायकर को आदर्श मानते हुए तथागत बुद्ध की शरण में गए। फुले दंपत्ति ने एक विधवा माता का बच्चा गोद लिया उसका नाम यशवंत रखा। उसको पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनाया और उस डॉ पुत्र की उस समय अंतर्जातीय शादी थी।

1897 ईस्वी में महाराष्ट्र में ताउन्न (प्लेग) की बीमारी फैली लोग गांव छोड़कर जंगलों में चले गए मरीजों को उठाकर। सावित्रीबाई लाती और अपने पुत्र यशवंत के अस्पताल में उनका इलाज करवाती। एक अछूत बालक प्लेग के रोग से तड़प रहा था। सावित्री बाई फूले उस बालक को उठा कर कंधे पर आ रही थी। वो भी प्लेग की शिकार हो गई और उनकी मृत्यु 10 मार्च 1897 में हो गई। इस प्रकार नारी समाज को धर्म की गंदगी से उठाकर नया जीवन देने वाली महान नारी का अंत हुआ। आज घर-घर में लड़कियां पढ़ी लिखी मिलती है यह फुले दंपत्ति की ही देन है। इसी बीच

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार अजय रौशन ने मानववादी गीत के माध्यम से कुमार दुष्यंत के गीत "बन गई है पीर पर्वत सी पीर पिघलनी चाहिए, फिर हिमालय से गंगा निकलनी चाहिए " प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उमेश चन्द्र मौर्य, संचालन रामलखन पाल, धन्यवाद ज्ञापन सुभाष सोनकर ने किया। इस दौरान वक्ताओं में मुख्य रूप से उमेश चन्द्र मौर्य, डाक्टर प्रभु नारायण पटेल, मुन्ना पटेल, माया पटेल, स्यामरथी पटेल, भोलानाथ पटेल, वीरेंद्र कुमार पटेल, अजय वर्मा, सुनील कुमार पटेल, राजकुमार पटेल, रवि शंकर पटेल, धनन्जय पटेल, दशमी पटेल,सुरेंद्र पटेल, विजय प्रकाश पटेल, जीउत पटेल, मिठाई पटेल आदि लोग उपस्थित थे।

kuldeep

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