लखनऊ विश्वविद्यालय में "आजादी की अमृत महोत्सव" थीम के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन....
दांडी मार्च की शुरुआत के वर्षगांठ पर भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष में "आजादी की अमृत महोत्सव" थीम के अंतर्गत लखनऊ विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान,...


दांडी मार्च की शुरुआत के वर्षगांठ पर भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष में "आजादी की अमृत महोत्सव" थीम के अंतर्गत लखनऊ विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान,...
दांडी मार्च की शुरुआत के वर्षगांठ पर भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष में "आजादी की अमृत महोत्सव" थीम के अंतर्गत लखनऊ विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान, निबंध प्रतियोगिता व रेखाचित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सत्यकेतु ने "राष्ट्र की अवधारणा" विषय पर एक सारगर्भित व्याख्यान छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया।
डॉ सत्यकेतु ने सबसे पहले राष्ट्र, भारत और देश, इन शब्दों के शब्द उद्भव की चर्चा की और बताया कैसे वेदों में भी राष्ट्र के परिकल्पना का उल्लेख है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राष्ट्र को बनाए रखने में ज्ञान शक्ति और क्षत्र शक्ति अर्थात बल का समन्वय ही सार्थक होता है। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस और अरविंद का स्मरण करते हुए छात्रों से कहा कि जैसे सुभाष बोस सहित हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्र निर्माण के उत्साह में उस पथ पर आने वाली अनेकों वेदनाओं को सहा, आज भी यह आवश्यक है कि छात्र राष्ट्र निर्माण के पथ पर अग्रसर होने के लिए ज्ञान अर्जन के कष्ट को सहे।
कार्यक्रम में सांस्कृतिकी के समन्वयक प्रो राकेश चंद्र, दर्शन शास्त्र विभाग के डॉ प्रशांत शुक्ला और अंग्रेजी विभाग के प्रो निशि पांडेय भी मौजूद रहीं। डॉ सत्यकेतु के भाषण के बाद निबंध प्रतियोगिता और रेखा चित्र प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गए।
निबंध प्रतियोगिता का विषय था "राष्ट्रवाद एवं राष्ट्र धर्म" और इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया शिवम पांडे ने द्वितीय स्थान पर दिव्या वर्मा और वर्तिका तिवारी रहे, और तीसरा स्थान रोशनी रावत और शिवांगी त्रिवेदी को प्राप्त हुआ। रेखा चित्र प्रतियोगिता का विषय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गाथा रेखा चित्र प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, संध्या नटनागर को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, आयुषी जयराज और प्रियंका दूसरा स्थान प्राप्त करने में सक्षम रही और अंजलि बघेल और साधना राजपूत को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
अराधना मौर्या