अखिलेश यादव का भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार कहा- किसानों को जानबूझकर एमएसपी नहीं देना चाहती सरकार.....

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अखिलेश यादव का भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार कहा- किसानों को जानबूझकर एमएसपी नहीं देना चाहती सरकार.....
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देश में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ की सरकार पर जमकर हमला बोला।

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं देना चाहती है। गेहूं खरीद में भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर दी गई है। गांवों के किसान को परेशानी में फंसाये रखने की यह भाजपाई साजिश का हिस्सा है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कृषि बिल के खिलाफ करीब 8 महीने से देश के अलग-अलग जगह के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को कटाक्ष में लेते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने तय कर लिया है कि वह असत्य के सिवा कुछ नहीं बोलेगी और अपने पूरे कार्यकाल में छल-कपट की राजनीति के अलावा कुछ नहीं करेगी।

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कि गांवों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है। मंहगाई के कारण खेती के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो गई है तथा उसकी फसल की लूट रुक नहीं रही है।

राजधानी लखनऊ सहित तमाम जनपदों से गेहूं खरीद में भारी अनिमितताओं की सूचनाएं मिली है। उन्होंने सीधे प्रहार करते हुए कहा कि किसानों को परेशान करना और उन्हें फसाए रखना भाजपा की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जानबूझकर किसानों को एमएसपी की व्यवस्था नहीं देना चाहती।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं देना चाहती है। गेहूं खरीद में भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर दी गई है। गांवों के किसान को परेशानी में फंसाये रखने की यह भाजपाई साजिश का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन के बाद गेहूं का सैंपल पास कराना होता है तब भी क्रय केन्द्रों में धांधली के कारण एमएसपी पर बिक्री नहीं होती है। धान की फसल के बेहन के लिए प्रदेश में बीज का अभाव बना हुआ है।

सपा प्रमुख ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है भाजपा के अंधेर राज में किसानों की बदहाली और भाजपा के प्रश्रय प्राप्त बिचौलियों की खुशहाली ही वांछित है। पहले धान की लूट हो ही चुकी है। गन्ना किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है।

उनके गन्ने का 15,000 (पन्द्रह हजार) करोड़ बकाये का भुगतान अभी भी लटका हुआ है। देरी में भुगतान का ब्याज तो कभी मिलने वाला है नहीं। भले ही गेहूं का एमएसपी 1975 रुपए प्रति क्विंटल घोषित है लेकिन किसानों को 1500 रुपए प्रति क्विंटल मिलने के लाले पड़े हुए हैं।

नेहा शाह

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