जालसाजी कर संविदा कर्मचारी बना परियोजना अधिकारी
जालसाजी कर संविदा कर्मचारी बना परियोजना अधिकारी
एक जालसाज ने सूडा में परियोजना अधिकारी का पद फर्जी दस्तावेज लगाकर हासिल कर लिया। वह 17 महीने तक सरकारी खजाने से वेतन भी उठाता रहा। जब इसका खुलासा हुआ तो सूडा के परियोजना अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने सुशांत गोल्फ सिटी थाने में आरोपी जालसाज डॉ. अनुज प्रताप सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया है।
जालसाज ने सूडा में परियोजना अधिकारी का पद प्राप्त करने के लिए चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के नाम से तैयार फर्जी दस्तावेज लगाए थे। कागजों की जांच किए जाने पर फर्जीवाड़े का पता चला।
दस्तावेजों की जांच में हुआ खुलासा
डॉ. अजय कुमार के मुताबिक, विभाग ने डॉ. अनुज के दस्तावेजों को जांच के लिए चौधरी चरण सिंह विवि में भेजा था लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद छानबीन किए जाने पर जानकारी मिली कि अनुज प्रताप सिंह, सर छोटूराम इंस्टीट्यूट में संविदा कर्मी था।
उसने प्रतिनियुक्ति हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए थे। यह जानकारी मिलने के अनुज प्रताप सिंह को नोटिस देकर जवाब देने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
वेतन में दिखा अंतर तो गहराया संदेह
डॉ. अजय के मुताबिक, डॉ. अनुज प्रताप ने कार्यभार ग्रहण करते समय प्रमाण पत्र पेश किया था जिसमें 18 फरवरी 2020 में वेतन 76,400 रुपये दर्शाया था। वहीं अंतिम वेतन प्रमाण पत्र पांच जुलाई 2021 में कुल 59,307 रुपये अंकित किया। वेतन में अंतर होने और चौधरी चरण सिंह विवि से दस्तावेजों की जांच में कोई जवाब न मिलने से संदेह गहराने लगा।
इसके बाद विश्वविद्यालय को 27 जुलाई 2021 में सेवा पुस्तिका व अंतिम वेतन प्रमाण पत्र पुष्टि किए जाने के लिए पत्र भेजा गया तो पता चला कि वह एक निजी संस्थान सर छोटूराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी मेरठ संविदा पर था। इसके बाद डॉ. अनुज को नोटिस दिया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
एसएसपी मेरठ से जांच की गुहार लगाई गई जिसमें सारी हकीकत सामने आ गई। रिपोर्ट आने के बाद जालसाज डॉ. अनुज प्रताप के खिलाफ तहरीर दी गई। प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र विक्रम सिंह के मुताबिक, तहरीर में दस्तावेजों में हेराफेरी कर प्रतिनियुक्ति व सरकारी धन का गबन करने का आरोप था जिसके आधार पर केस दर्ज कर जांच की जा रही है।