उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है।उन्होंने मुगल बादशहा अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की
महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
उनका जन्म वर्तमान राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जयवन्ताबाई के घर हुआ था।
हल्दीघाटी का युद्ध
इस युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था। भील सेना के सरदार, पानरवा के ठाकुर राणा पूंजा सोलंकी थे |इस युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे- हकीम खाँ सूरी।[
महाराणा प्रताप का निधन
19 जनवरी 1597 में निधन
महा राणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर की प्रतिक्रिया
अकबर की उस समय की मनोदशा पर अकबर के दरबारी दुरसा आढ़ा ने राजस्थानी छन्द में जो विवरण लिखा अस लेगो अणदाग पाग लेगो अणनामी गो आडा गवड़ाय जीको बहतो घुरवामी नवरोजे न गयो न गो आसतां नवल्ली न गो झरोखा हेठ जेठ दुनियाण दहल्ली गहलोत राणा जीती गयो दसण मूंद रसणा डसी निसा मूक भरिया नैण तो मृत शाह प्रतापसी