6 को सुनाई गई सजा, 7 को तय थी फांसी, लेकिन मंगल पांडेय की देशभक्ति के जल्लाद भी कायल थे। आठ अप्रैल को फांसी देने के लिए दोबारा कोलकाता से जल्लाद बुलाए गए। उन्हें यह नहीं बताया गया कि फांसी किसे देनी है। सुबह 5.30 बजे बैरकपुर के परेड ग्राउंड में उन्हें फांसी दी गई।