8 अप्रैल को मिली थी मंगल पांडे को फांसी

8 अप्रैल का दिन इन्हीं को समर्पित है। 1857 में देश में आजादी की पहली चिंगारी सुलगाने वाले मंगल पांडे को 8 अप्रैल के दिन फांसी दे दी गई थी।
टल गयी थी मंगल पाण्डेय की फांसी
इनकी फांसी एक दिन के लिए टल गयी थी क्योंकि जल्लादो ने इनकी देशभक्ति से प्रभावित होकर ऐसा करने से मना कर दिया था.
छह को सुनाई गई सजा, सात को तय थी फांसी
6 को सुनाई गई सजा, 7 को तय थी फांसी, लेकिन मंगल पांडेय की देशभक्ति के जल्लाद भी कायल थे। आठ अप्रैल को फांसी देने के लिए दोबारा कोलकाता से जल्लाद बुलाए गए। उन्हें यह नहीं बताया गया कि फांसी किसे देनी है। सुबह 5.30 बजे बैरकपुर के परेड ग्राउंड में उन्हें फांसी दी गई।
18 अप्रैल की जगह 8 अप्रैल को ही दे दी फांसी
स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी पूरे भारत में न फैल जाए, इसी डर से अंग्रेजो ने 18 अप्रैल की जगह मंगल पांडे को 8 अप्रैल को ही फांसी दे दी थी।
भारत सरकार ने सम्मान में जारी किया डाक टिकट
भारत के स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मान देने के लिए भारत सरकार द्वारा उनके लिए 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया था।
दिया ''फिरंगी मारो'' का नारा
मंगल पांडे ने ''फिरंगी मारो'' का नारा भी दिया। 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने दो ब्रिटिश अफसरों पर हमला किया।