भगवान बिरसा मुंडा का अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष

मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में अंग्रेजो से संघर्ष करते हुए जिस युवा की शहादत हुई उसे आज पूरा भारत भगवान का दर्जा देता है \ जिस उम्र में लोग आदिवासी इलाके में अभी समझ विकसित होती है उसी उम्र में अंग्रेजो को टक्कर देने वाले भगवान बिरसा मुंडा को भारत नमन करता है \
एक युवा आदिवासी का भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
आदिवासी क्षेत्र में अंग्रेज फौजी को टक्कर दे कर उन्होंने हुकूमत के अंदर डर पैदा कर दिया \ १८५७ की क्रांति से पैदा हुआ डर भगवान मुंडा के संघर्ष से और तेज हो जाता है \
बिरसा मुंडा का प्रारम्भिक जीवन
सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म 1875 के दशक में छोटा नागपुर में मुंडा परिवार में हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे। साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद वे चाईबासा इंग्लिश मिडिल स्कूल में पढने आये।
बिरसा मुंडा का भारत की संसद में चित्र
बिरसा मुंडा भारत के पहले ट्राइबल योद्धा है जिनकी तस्वीर सांसद के केंद्रीय कक्ष में शोभा बढाती है \ उनकी याद में उसे वहा लगाया गया है \
रांची का हवाई अड्डा बिरसा मुंडा के नाम पर
बिरसा मुंडा के संघर्ष और भारत की स्वतंत्रता में योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा \ अंग्रेजो ने उनको जेल में डाल दिया था जहाँ उनकी रहष्यमय हालत में मौत हुई \ रांची में सरकार ने उनके नाम पर हवाई अड्डे को बिरसा मुंडा के नाम पर रख उनकी याद को हमेशा के लिए जीवित कर दिया है \