उन्नीस सौ तेरह से उन्नीस सौ इकतीस तक (साइलेंट एरा )

1913
उन्नीस सौ इकतीस से उन्नीस सौ सैतालिस तक (स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले )
अछूत कन्या १९३६ में आयी थी जिसे फ्रेंज ओस्टें ने निर्देशित किया था / इस फिल्म में ब्राह्मण लड़के और एक दलित लड़की की प्रेम कहानी को दिखाया गया था \
उन्नीस सौ सैतालिस से उन्नीस सौ साठ तक (यथार्थवाद का प्रभाव )
1957
उन्नीस सौ साठ से सत्तर तक ( राजेश खन्ना का रोमांटिसिज्म )
राजेश खन्ना भारत के पहले सुपरस्टार कहें जाते है \ एक के बाद एक हिट रोमांटिक फिल्मों ने उनको बॉलीवुड का रोमांस किंग बना दिया था\ रोटी, कटी पतंग , आराधना , अमर प्रेम , सफ़र के अलावा कई और यादगार फिल्मों में उन्होंने काम किया है \
उन्नीस सौ सत्तर से उन्नीस सौ अस्सी तक (एंग्री यंग मैन या प्रतिरोध का सिनेमा और समानांतर सिनेमा )
उन्नीस सौ अस्सी से सन दो हजार तक (मशाला फिल्म और पैरलल सिनेमा )
ये वो दौर था जब मध्यम और मध्यम निम्न वर्ग के लिए सिनेमा बनने लगा \ एक ओर अमोल पालेकर जैसे हीरो आम आदमी के रोमांस को दिखा रहे थे तो दूसरी ओर ओम पूरी और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेता उसके गुस्से , निराशा और कुंठा को व्यक्त कर रहे थे \ ये दौर मिथुन और गोविंदा जैसे मशाला फिल्म अभिनेता का भी था जो निम्न मध्यम वर्ग को निराशा में हंसा रहा था \
इक्कीसवी सदी का सिनेमा (डायस्पोरा सिनेमा )
ये वो दौर था जब शाहरूख खान ने १९९५ में दिलवाले दुल्हनिया से शुरू कर परदेश और कल हो न हो जैसी फिल्मो से भारत के बाहर रह रहे अप्रवासी भारतीयों की कहानी को बॉलीवुड में विस्तार दिया \ ये वो दौर था जब बॉलीवुड मुंबई से निकल कर विदेश में धूम मचा रहा था \ लोग अपनी सभ्यता और कहानी देखना चाहते थे और बॉलीवुड उनको वो दिखा रहा था \