ये समाज और सरकार के रोने का समय है
कन्नोज की घटना भारत के सभ्य समाज के मुह पर एक जोरदार तमाचा है | ये उन लोगो के लिए और भी दुखदायी होना चाहिए जीन लोगो को इस माँ की स्थिति के बारे में...
कन्नोज की घटना भारत के सभ्य समाज के मुह पर एक जोरदार तमाचा है | ये उन लोगो के लिए और भी दुखदायी होना चाहिए जीन लोगो को इस माँ की स्थिति के बारे में...
कन्नोज की घटना भारत के सभ्य समाज के मुह पर एक जोरदार तमाचा है | ये उन लोगो के लिए और भी दुखदायी होना चाहिए जीन लोगो को इस माँ की स्थिति के बारे में पता था | सनातन संस्कृति का पालन करने वाले पुजारी लोग , मुल्ला और मौलवी और गुरद्वारो में लंगर बाटने वाले लोगो से यही उम्मीद करते है की भरे पेट को भोजन कराने से अच्छा इन लोगो की चिंता करे तो अपने -अपने भगवान से मुलाकात की उम्मीद कर सकते है |
किस तरह का समाज होता हा रहा है जहा पर भूख से तडपते बच्चे को माँ ही उसकी पीड़ा न देख पाने के कारण मार दे रही है | कहाँ गयी सरकारी योजनाये जिनके प्रचार -प्रसार पे करोडो खर्च होता है | क्या यही सरकारी तंत्र है जहा राजा को जनता के भूख से बिलखने का पता नही चल पा रहा है |
भारतीय राजाओ में ये परंपरा रही है कि वो रात में भेष बदल कर अपनी जनता या प्रजा के दुख और कष्ट को पता लगाने के लिए स्वयं जाते थे | शायद यही कारण था कि राजा राम को उस धोबी की बात सुननी पड़ी | पर राजतन्त्र में गुप्तचरों का जाल होता था जो राजा को हर घटना की खबर उपलब्ध कर देते थे | आज कहने को तो प्रजा तंत्र है और मुख्यमंत्री जनता का सेवक है पर जनता से दूर है | बड़ी गाडियों में निकलने वाले काफिले की अगुवाई करने वाला जनता का सेवक को आज जनता की ही खबर नहीं है }
सभ्य समाज में भूख और अन्न के आभाव में होने वाली मौत एक धब्बा है और ये कालिख की तरह सरकार के उपर तब तक पुती रहेगी जबतक सरकार ऐसे लोगो का कोई बंदोबस्त नहीं कर देती |
उस माँ की पीड़ा को कौन समझे जो अपने ही कलेजे के टुकड़े को खुद अपने हाथो से मौत के घाट उतार देती है | उसे कोई अदालत की सजा देगी वो जिस भी अदालत में जाएगी हर व्यक्ति जो उससे प्रश्न पूछेगा वो उसी तरह पाप का भागी होगा जैसे वो लोग जिन्होंने जानते हुए भी उसकी मदद नही की |