फिल्म विश्लेषण भाग 3: फिल्मों में दिखाए गए संकेत को समझने के लिए उसके सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कॉन्टेक्स्ट को ध्यान में रखना चाहिए : प्रो गोविंद जी पाण्डेय
फिल्मों में दिखाए गए संकेत को समझने के लिए उसके सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कॉन्टेक्स्ट को ध्यान में रखना चाहिए। जिस तरह से हमने देखा की अ पोस्टमैन रिंग्स ट्वॉइस फिल्म में जिस समय मुख्य किरदार की एंट्री होती है और वह हीरोइन से मुलाकात करता है उस समय एक शॉट है जिसमें एक लिपस्टिक लुढ़कते हुए हीरो के पास आ जाती है । हीरो उसको उठाता है और कमरे के अंदर घुस कर उसे हीरोइन को देता है।
जिस तरह से लिपस्टिक लुढ़कते हुई हीरो के पास आती है, फिल्म के अंत में जब हीरोइन अपने पति का मर्डर करके अपने प्रेमी के साथ आ रही होती है तो उनकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है और उसमे हीरोइन का अंत होता है।
उसी दृश्य में एक्सीडेंट में जब हीरोइन की मौत होती है तो उसका हाथ खुलता है और वही लिपस्टिक एक बार फिर लुढ़कते हुए कार के फर्श पर हीरो को मिलता है।
अगर दोनों शॉट को हम देखें तो शुरू में लिपस्टिक का गिरना और दोनों का मिलना और फिर उसी लिपस्टिक का गिरना और दोनों का बिछड़ना भाग्य की ओर इशारा करता है।
यह फिल्म नोआर से प्रभावित है और इसके दृश्य, साथ ही साथ हीरो और हीरोइन ऐसे पात्र हैं जो समाज में किसी भी तरह की हरकत कर सकते हैं, जो समाज द्वारा अनुमोदित नहीं है।
एक तरफ हीरोइन अपने पति का कत्ल करती है दूसरी तरफ हीरो अपने मालिक की पत्नी के साथ मिलकर उसकी हत्या करता है । यह दोनों ही तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं की फिल्म नोआर का हीरो स्थापित मान्यताओं को नहीं मानता है जिसे समाज अपनाए हुए हैं।
जिस तरह से फेम्मे फेटल की बात फिल्म नोवार में आती है उसमें ये महिला पात्र पूरी तरह खरी उतरती है ।
वह अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है और शादी के बाद भी संबंध बनाती है जिसमें उसको कोई आत्मग्लानि नहीं है बल्कि अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति का कत्ल करते हुए उसे जरा भी संकोच नहीं होता है।
इसी तरह से भारत की एक मशहूर फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन जब तक बिल्ला नंबर 786 पहने रहते हैं बचते रहते हैं ।और जैसे इनका बिल्ला गुम हो जाता है उनको गोली लग जाती है और यह मारे जाते हैं।