तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद क्षेत्र में बढ़ती अनिश्चितता के बीच बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत परियोजनाओं को आगे बढ़ाना, जो अफगानिस्तान में फैली हुई है, चीन की प्राथमिक चिंता है
इतना ही नहीं आपको बता दे कि बीजिंग ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह तालिबान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को गहरा करने के लिए तैयार है और युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहायता प्रदान करेगा, बीजिंग के लिए भी चिंताएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि अगर तालिबान पूर्ण नियंत्रण के बाद एक नया देश बनाता है, तो उसे इस क्षेत्र में आतंकवादियों, चरमपंथियों और अलगाववादियों 'थ्री एविल्स' के साथ सभी संबंधों को खत्म करने के अपने वादे को निभाना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान उन ताकतों के लिए एक प्रजनन जमीन न बन जाए।
जबकि बता दें कि अफगानिस्तान से सैनिकों को बाहर निकालने के अमेरिकी निर्णय ने चीन की प्रचार एजेंसियों को वॉशिंगटन की विदेश नीति को बदनाम करने के लिए बहुत सारी सामग्री प्रदान की है।
गार्जियन के मुताबिक, बीजिंग भी अपने सबसे अस्थिर पड़ोसियों में से एक में तेजी से अनिश्चित सुरक्षा स्थिति को नेविगेट करने में सावधानी बरत रहा है।
विदेश नीति पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि चीन, जो 'उइगर समस्या' से जूझ रहा है, चिंतित होगा, क्योंकि उसे अफगानिस्तान में शायद विदेशी आतंकी संगठनों से निपटना होगा। आपको बता दें कि रिपोर्ट में कहा गया है, समूह के करीब 500 लड़ाके चीन से सटे अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत में सक्रिय हैं।
नेहा शाह