अफ्रीका में तेजी से फैल रहा एमपॉक्स, प्रसार रोकने के लिए तत्काल उठाए जाएं कदम : जीन कासेया
अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (अफ्रीका सीडीसी) ने आह्वान किया है कि पूरे महाद्वीप में एमपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए तत्काल उचित कदम उठाए जाएं। अफ्रीका सीडीसी के महानिदेशक जीन कासेया ने गुरुवार को अफ्रीका में बहु-देशीय एमपॉक्स के प्रकोप पर पत्रकारों को संबोधित किया। बताया कि अफ्रीका के सभी पांच क्षेत्रों में कम से कम 16 देश एमपॉक्स से प्रभावित हुए हैं।
महानिदेशक जीन कासेया ने कहा कि जनवरी 2022 से अब तक अफ्रीका में लगभग 38,465 मामले और 1,456 मौतें हुई हैं, जिनमें पिछले सप्ताह के दौरान 887 मामले और पांच मौतें शामिल हैं।
अफ्रीका सीडीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 दिनों के दौरान छह नए अफ्रीकी देश एमपॉक्स से प्रभावित हुए हैं, जबकि 18 अन्य अफ्रीकी देशों में इस बीमारी का प्रकोप बढऩे का खतरा सबसे अधिक है।
अफ्रीका में एमपॉक्स के तेजी से प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान करते हुए अफ्रीका सीडीसी प्रमुख ने कहा कि एमपॉक्स को जुलाई 2022 से मई 2023 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय माना था और पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया था।
यह देखते हुए कि इस वर्ष रिपोर्ट किए गए नए एमपॉक्स मामलों की संख्या में 2023 की इसी अवधि की तुलना में 160 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, कासेया ने अफ्रीका में मंकीपॉक्स के मौजूदा प्रसार के को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया।
उन्होंने बीमारी के फैलने के तरीके पर चिंता व्यक्त की, और कहा कि यह बीमारी ज्यादातर यौन संचरण से जुड़ी हुई है।
वह आगे कहते हैं, अफ्रीका सीडीसी में हम आज जो कर रहे हैं वह ऐसे केसों की संख्या समझने के लिए है। हमें यह विशेष रूप से समझना है कि एमपॉक्स के मामलों में इतनी वृद्धि क्यों हो रही है? इस वृद्धि का सबसे पहला कारण वायरस का लगातार खुद को बदलते रहना रहा है।
उन्होंने आगे कहा, हम जानते हैं कि शुरुआत में यह सिर्फ जानवरों और इंसानों के साथ संपर्क था। लेकिन आज यह ज्यादातर यौन संचरण के माध्यम से होता है।
कासेया ने एमपॉक्स के प्रसार के पीछे प्रभावित देशों में एमपॉक्स के मामलों की देर से पहचान और प्रबंधन की कमी को प्रमुख मुद्दा बताया। इसके अलावा इस बीमारी के प्रसार में उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक संकट के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया।
एमपॉक्स जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, पहली बार 1958 में एक प्रयोगशाला के अंदर बंदरों में पाया गया था, माना जाता है कि यह जंगली चूहों से लोगों में या इंसानों से इंसानों में फैलता है। यह एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो आमतौर पर शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और अन्य दूषित सामग्रियों के माध्यम से फैलती है। लक्षणों की बात करें तो संक्रमित व्यक्ति को आमतौर पर बुखार, शरीर में छोटे-छोटे दाने और लिम्फ नोड में सूजन की समस्या आती है।