ध्यानभारत की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए जापान ने घोषणा की है कि वह तब तक रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप में शामिल नहीं होगा जब तक ग्य ऑर्गनाइजेशन भारत की चिंताओं का निराकरण नहीं करती है।
हालांकि भारत की घोषणा के बाद यह लग रहा था कि प्रस्तावित क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता से अलग होने के कारण एशिया में भारत अलग-थलग पड़ जाएगा पर अब जापान के भारत के पाले में आने के बाद स्थितियां बदलती हुई दिखाई दे रही है|
चीन ने बड़ी चालाकी से आसियान देशों और चीन जापान ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के साथ गठबंधन कर मुक्त व्यापार की वकालत की क्योंकि चीन को अपने घर में बने सामान को बेचने के लिए बड़ा मार्केट चाहिए।
भारत ऐसी स्थिति को समझ रहा था और जानता था कि अगर उसने मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए तो उसके घर में चीन अपने सस्ते सामान के उत्पादों को डंब कर देगा और भारतीय किसान और व्यापारी बेकार हो जाएंगे।
भारत की चिंताओं को जापान ने महत्त्व दिया और कहा कि छोटे उद्योग और कृषि क्षेत्र को जो नुकसान उठाना पड़ सकता है उसके लिए अलग से विचार होना चाहिए अब नहीं लगता कि जापान और भारत के अलग हो जाने के बाद यह गठबंधन किसी तरह से कोई प्रभाव क्षेत्र में छोड़ पाएगा।