Aarti: उत्तर प्रदेश के कुछ ही इलाकों में पाई जाने वाली काला नमक धान अब अस्तित्व को खोने की कगार पर है| काला नमक धान की पैदावार खासतौर पर उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर उत्तरी गोरखपुर बस्ती और महाराजगंज सहित तराई वाले इलाकों में बेहतर होती है|
बताया जाता है कि काला नमक धान वाले चावल से बनी खीर खाकर ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद उपवास को तोड़ा था आज वह वहीं धान अपना अस्तित्व खो रहा है| इसी धान के गुण को परखने का कार्य अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा किया जा रहा है दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र ने इसमें पाए जाने वाले तत्व उपज की स्थिति आदि को जांचने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से इस धान को गुजार कर इसका बीज तैयार किया जा रहा है|
इसी के तहत दक्षिणी एशिया क्षेत्रीय केंद्र में काला नमक नामक गार्डन तैयार किया गया है इस धान की गुणवत्ता की जांच आधुनिक लैब में की जा रही है विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रजाति के धान का 1 दो या दस बीस नहीं बल्कि सौ तरह के धान एकत्रित कर लैब में विश्वस्तरीय मशीनों से धान की गुणवत्ता की जांच की जा रही है ताकि आगे चल कर इसको पूरे यूपी के लिए प्रमाणित रूप से जारी कर किसानों की आय को और समृद्ध किया जा सके ।