लॉकडाउन- मां-बाप की बढी दिक्कतें, बच्चों के सवालों का नहीं दे पा रहे जबाव

Update: 2020-03-28 17:23 GMT

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। हर कोई एक अलग तरह के तनाव में जी रहा है कि कब किस तरह के हालात हो जाएं। कहीं हम भी कोरोना का शिकार न हो जाएं। दुनिया भर में कोरोना वायरस से हो रही मौतों ने भी लोगों को दहशत में जीने को मजबूर कर दिया है। वहीं अब कोरोना के चलते लोगों को घरों पर ही रहना हो रहा है। जहां लोगों को रोजमर्रा की चीजें जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही हैं, तो वहीं बंदी का असर लोगों के घरों में भी दिखाई पड़ रहा है। जिन घरों में बच्चे हैं वहां मां-बाप बच्चों के सवालों का जबाव नहीं दे पा रहे हैं, तो वहीं बुजुर्गों के अंदर मानसिक तनाव का स्तर ज्यादा बढ़ रहा है।लोगों का कहना है, इस बंदी के दौरान आस-पास कोई बात करने के लिए नहीं है और न ही वह घर से निकल पा रहे हैं। ऐसे में कई बार अकेलापन परेशान करता है। युवा दंपती भी इस मानसिक बदलाव से गुजर रहे हैं।कहते हैं कि इस समय घर में बच्चे बंद हैं और बार-बार बाहर जाने की जिद कर रहे हैं। वह कहते हैं कि इस वायरस को लेकर मन में डर भी है।महिलाओं का कहना है कि बच्चों को यह समझाना मुश्किल होता है कि क्यों बाहर न जाएं? वहीं बढ़ती जिम्मेदारी और बच्चों को संभालने के बीच तनाव के चलते कई बार खिटपिट की नौबत भी आ जाती है। जाहिर है इस लॉकडाउन के पीछे मकसद बड़ा है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी बेहद चुनौतीपूर्ण है।

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