मजदूरों की लाश पर बिछाई शतरंज की बिसात

Update: 2020-05-21 16:00 GMT

अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में देश की एक बड़ी पार्टी ने १३० करोड़ जनता के त्याग और बलिदान का सत्यानाश कर दिया | जब समय था की मजदूरो को कोरोना की हकीकत बता कर बस की जगह भोजन और छत मुहैया कराया जाय तो उस समय राजनीति चमकाने के लिए इन मासूम मजदूरो का सहारा लिया गया |

आज जो भी दृश्य दिख रहे है और जिन दृश्यों को देखने के बाद आम आदमी का कलेजा बाहर आ रहा है वो इसी तरह के दृश्य अब अपने आस पास भी देख सकता है | हमारी राजनीतिक चालबाजियों ने देशहित को पीछे रख दिया | अब लगातार इन मजदूरो के पलायन से बिहार , यूपी जैसे बड़े राज्य जो कोरोना से बचे हुए थे उनके गाँव में कोरोना पंहुचा दिया गया |

हम सब मजदूरों के साहस की बात कर रहे थे पर इसे साहस नही दुस्साहस कहा जाता है जब आप अपनी मौत देख रहे हो और आप किसी भी स्थिति में अपने को बचाना चाहते हो तो आप वो सब काम करते है जो नहीं करना चाहिए | भारत के मीडिया और सोशल मीडिया मजदूरो की कहानी और फोटो से भरा पड़ा है और उनके साहस और त्याग की गाथा आने वाले कई वर्षो तक कही जायेंगी पर अब जो आने वाले महीनो में दो बड़े राज्यों में कोरोना का फैलाव होगा तो उसके लिए किसको दोष देंगे |

करोडो की संख्या में मजदूरो के अंतिम समय में जब सब सामान्य होने की ओर था पलायन इस बात की ओर इंगित करता है कि कुछ ऐसे लोग है जो कोरोना पर विजय को अपनी पराजय के रूप में देख रहे थे | अब जब मजदूर अपने घरो में वापस आ रहे है और रोज कोरोना के ५००० से ज्यादा केस आ रहे है तो उस वर्ग की आत्मा को शांति जरुर मिली होगी हो पुरे जोर शोरो से मोदी और योगी सरकार को फेल देखना चाहता था |

चाहे इसके लिए भारत ही क्यों न फेल हो जाए पर हम इनको फेल कर अपनी सरकार बना लेंगे ये सब से ज्यादा चिंता का विषय था | अब आने वाला समय काफी मुश्किल दिखाई पड़ता है और इन चंद जाहिलो की चालबाजी और कुछ फेसबुकिया विद्वान जो फेसबुक पर नित्य रुदाली विलाप करते है की आत्मा में अब इन लोगो को फेल देख ख़ुशी हो रही होगी की चलो अब आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है |

ऐसे रक्त पिसाच को आने वाले समय में जनता ही सबक सीखा देगी \ ये जरुर है की आने वाला समय कठिन है और जाने कितने लोगो को इस रुदाली विलाप के कारण अपने स्वजनों को खोना पड़ेगा पर वक़्त इनको भी सबक सिखाएगा जब कोरोना इनके भी पास आएगा |

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