ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में SPARKS Club का उद्घाटन
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में यांत्रिकी अभियांत्रिकी विभाग में तकनीकी कौशल विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित SPARKS Club का अत्यंत गरिमामय उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा द्वारा सम्पन्न किया गया। यह आयोजन विभागीय तथा संस्थागत उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तनेजा ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक तकनीकी युग में इंजीनियरिंग शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि नवाचार, अनुसंधान और व्यावहारिक कौशल को विकसित करना है। उन्होंने आगे कहा कि SPARKS Club जैसे मंच विद्यार्थियों को नए विचारों पर कार्य करने, तकनीकी परियोजनाओं को विकसित करने और प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में अपनी क्षमताओं को परखने के अवसर प्रदान करते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी श्री संजीव गुप्ता उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय तेजी से तकनीकी विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, और ऐसे क्लब विद्यार्थियों की तकनीकी दक्षता तथा भविष्य की पेशेवर आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. आर. के. त्रिपाठी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि SPARKS Club विद्यार्थियों के नवाचारी प्रोजेक्ट्स, प्रयोगात्मक गतिविधियों और तकनीकी प्रतियोगिताओं का केंद्र बनेगा।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विषय प्रभारी डॉ सय्यद असगर हुसैन रिज़वी ने क्लब की संरचना, उद्देश्य एवं भावी योजनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह क्लब विभाग की शिक्षण प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के साथ-साथ छात्रों को वास्तविक इंजीनियरिंग समस्याओं के समाधान हेतु प्रेरित करेगा। कार्यक्रम में फैकल्टी सदस्यों सत्येंद्र शुक्ला, उन्नी किसन, तथा वीरेंद्र कुमार की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सभी सदस्यों ने इस पहल को विभाग और विश्वविद्यालय दोनों के लिए ऐतिहासिक और प्रगतिशील बताया।
समारोह के अंत में कुलपति, अतिथियों और विभागीय सदस्यों ने SPARKS Club के छात्रों को शुभकामनाएँ देते हुए आशा व्यक्त की कि क्लब भविष्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की तकनीकी पहचान को एक नई दिशा प्रदान करेगा।