कुरुक्षेत्र : सोमवती अमावस्या पर ब्रह्मसरोवर में श्रद्धालुओं का विशाल हजूम, पितरों के लिए पिंडदान और पूजा-अर्चना
सोमवार के दिन पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है, और इसे अत्यंत शुभ एवं पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से भक्तों को देवी-देवताओं का सानिध्य प्राप्त होता है, और उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इस ऐतिहासिक दिन पर भक्तगण सुबह से ही कुरुक्षेत्र के पवित्र तीर्थ ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर पर पहुँचने लगे थे। उन्होंने पवित्र सरोवर में स्नान करके विधिवत पूजा-अर्चना की और अपने पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण किया। भक्तों का मानना है कि इस पवित्र कार्य से उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
हर अमावस्या पर, विशेष रूप से सोमवती अमावस्या के दिन, देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र की इस पवित्र धरती पर आते हैं। वे यहाँ के पवित्र तीर्थों में स्नान करके, और ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाकर, अपने पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस अवसर पर ब्रह्मसरोवर के तट पर श्रद्धालुओं के बीच भक्ति और आस्था का अद्भुत माहौल देखने को मिलता है।
कुरुक्षेत्र, जो धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध है, सोमवती अमावस्या के इस विशेष दिन पर एक बार फिर से भक्तों के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र बन गया। पिंडदान और तर्पण के इस पावन कार्य के साथ, श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की और उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना की।