प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के सूरत में 'जल संचय जनभागीदारी पहल' के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व को प्राथमिकता दी गई है। यह प्रधानमंत्री के जल सुरक्षा के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक कदम है। इसे समग्र समाज और सरकार के दृष्टिकोण के साथ संचालित किया जा रहा है।
इस पहल के तहत, पूरे गुजरात राज्य में सामुदायिक भागीदारी से लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इन संरचनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण और उसके सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है, ताकि भविष्य में जल की किल्लत से बचा जा सके।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जल-संरक्षण केवल नीतियों का नहीं, बल्कि सामाजिक निष्ठा का भी विषय है। पीएम ने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान पानी से जुड़े सभी विषयों पर साइलों को तोड़ा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से पर्यावरण के संरक्षण के लिए विशेष अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी मां के नाम पर एक पेड़ जरूर लगाए। उन्होंने बताया कि जब पेड़ लगते हैं तो भूजल का स्तर तेजी से बढ़ता है, जो जल संरक्षण में सहायक होता है। उन्होंने 'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप' जैसे अभियानों का जिक्र किया, जिनसे न केवल कृषि क्षेत्र में पानी की बचत हो रही है, बल्कि इसका सकारात्मक असर भी दिख रहा है।
इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण की दिशा में लोगों को जागरूक और सक्रिय भागीदार बनाना है, जिससे जल की कमी की समस्या को दूर किया जा सके और भविष्य में जल सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।