छठ पूजा के महापर्व का आज दूसरा दिन है, जो विशेष रूप से खरना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व शुद्धता से जुड़ा हुआ है, और इसे पर्व की एक अहम रस्म के तौर पर माना जाता है। खरना, जिसे शुद्धिकरण का दिन भी कहा जाता है, छठ पूजा का अभिन्न हिस्सा है। इसे हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रती विशेष संकल्प के साथ पूजा करते हैं और सूर्य देवता को प्रसाद अर्पित करते हैं। खरना की पूजा संध्या के समय की जाती है।
संध्या समय खरना का प्रसाद तैयार किया जाता है। मिट्टी के चुल्हे पर आम की लकड़ी की मदद से प्रसाद तैयार किया जाता है। गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है और हाथ से पीसे हुए गेहूं के आटे से बनी रोटी भी बनाई जाती है। शाम को यह प्रसाद छठी मैया और सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद व्रतधारी स्वयं इसे ग्रहण करते हैं। इसके बाद व्रति अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेते हैं।
इस पूरे पर्व का समापन शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा, जो छठ पूजा के अंतिम दिन की सबसे महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है।