प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में सूफी संस्कृति से जुड़े जहान ए खुसरो कार्यक्रम में शामिल हुए। यह कार्यक्रम हर वर्ष प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य एवं कवि अमीर खुसरो की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सूफी परंपरा को इस्लामी एवं वैदिक संस्कृतियों के बीच अद्भुत पुल बताया। पीएम मोदी ने देशवासियों को रमजान पर्व की मुबारकबाद दी।
समारोह से जुड़ा एक वीडियो पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया। जहां प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान जन्नत का वह बगीचा है जहां तहजीब का हर रंग फला-फूला है और जहां की मिट्टी के मिजाज में ही कुछ खास है।
पीएम मोदी ने प्रसिद्ध सूफी कवि और विद्वान अमीर खुसरो की स्मृति में आयोजित जहान-ए-खुसरो के 25वें संस्करण में सूफी परंपरा की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में जब सूफी परंपरा आई तो ऐसा लगा कि वे अपनी ही जमीं में आ गई। सूफी परंपरा ने भारत में आने के बाद एक अलग ही पहचान बनाई। प्रधानमंत्री मोदी ने सूफी परंपरा के संतों की उनके बहुलवादी संदेश के लिए प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने कुरान की आयतें पढ़ीं और वेदों को भी सुना।
प्रधानमंत्री मोदी ने जहान-ए-खुसरो समारोह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मौके देश की कला संस्कृति के लिए तो जरूरी होते ही है, साथ ही इनसे सुकून भी मिलता है। उन्होंने कहा कि गुलामी के कालखंड ने हमें तबाह किया लेकिन हजरत खुसरो की रचना के कारण हम अपने अतीत से परिचित हैं।
इस महोत्सव के प्रधानमंत्री ने हस्तनिर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले टीईएच बाजार का भी जायजा लिया, जिसमें ‘एक जिला-एक उत्पाद’ से जुड़े शिल्प और देशभर से विभिन्न उत्कृष्ट कलाकृतियों के साथ-साथ हस्तशिल्प और हथकरघा पर लघु फिल्में आदि प्रदर्शित की गई हैं।
जहान-ए-खुसरो समारोह सूफी संगीत, कविता और नृत्य को समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है। यह महोत्सव अमीर खुसरो की विरासत का जश्न मनाने के लिए दुनियाभर के कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है।