पूरे देश में वायु प्रदूषण का स्तर भले ही जानलेवा बन गया है लेकिन पंजाब हो या उत्तर प्रदेश हरियाणा हो या दिल्ली इन राज्यों की सरकारों के पास इनसे निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। केंद्र सरकार नेइन राज्यों को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पैसा मुहैया करा दिया है पर राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
ना तो वायु प्रदूषण पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कुछ किया जा रहा है जिससे कि वायु प्रदूषण के तत्व लोग पहचान सके और उससे दूर रहे साथ ही किसानों को भी जागरूक किया जाए जिससे कि वह पराली ना जलाएं।
विश्व के प्रदूषित शहरों में अगर गिनती करेंगे तो भारत के लगभग सारे शहर आ जा रहे हैं और लखनऊ दिल्ली गाजियाबाद पटना यह तो प्रदूषण के गढ़ बन गए हैं। यहां की जनता अपने राज्य सरकारों की उदासीनता का दुष्परिणाम भोग रही है।
सरकार ऐसी है कि ऐसी दफ्तर में बैठकर उनके ऊपर प्रदूषण की मार नहीं पड़ रही है अपने कमरों में एयर प्यूरीफायर लगवा कर वह प्रदूषण पर निजात पा चुके हैं और जनता को मरने के लिए छोड़ दिया है।
वायु प्रदूषण उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सड़कों से उठने वाली धूल के कारण है और जो निर्माण हो रहे हैं उससे होता है पर राज्य सरकार जिसमें दावा किया था कि गड्ढा मुक्त सड़के देंगी वह शायद अच्छी नींद में है।