सेना में परंपरा और नवीनता के बीच संतुलन बनाने की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की वकालत
हैदराबाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को सशस्त्र बलों में परंपरा और नवीनता के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि परंपरा का पालन करते हुए सशस्त्र बलों को नवाचार को भी समान महत्व देना चाहिए जो उन्हें बदलते समय के अनुरूप तैयार करता है।
वह हैदराबाद के बाहरी इलाके डंडीगल में वायु सेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड को संबोधित कर रहे थे।
प्रशिक्षण पूरा करने वाले कुल 213 फ्लाइट कैडेटों (25 महिलाओं सहित) को भारतीय वायु सेना की विभिन्न शाखाओं में नियुक्त किया गया है।
उन्होंने युवा अधिकारियों से नये विचारों, नवीन सोच और आदर्शवाद के प्रति अपना खुलापन कभी नहीं खोने का आह्वान किया।
सिंह ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे न केवल परंपरा को उचित महत्व दें क्योंकि वे समय की कसौटी पर कसे जा चुके हैं, बल्कि नवाचार पर भी ध्यान केंद्रित करें।
उन्होंने कहा, अगर परंपरा का पालन बिना सोचे-समझे लंबे समय तक किया जाता है, तो इससे व्यवस्था में विकृति आ जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए लगातार बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए कुछ नया करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, अगर हम केवल परंपरा का पालन करेंगे तो हम एक मृत झील की तरह होंगे। हमें एक बहती हुई नदी की तरह बनना होगा। इसके लिए हमें परंपरा के साथ-साथ नवीनता भी लानी होगी।
रक्षा मंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि वे उड़ते रहें और ऊंचाइयों को छूते रहें, लेकिन जमीन से अपना जुड़ाव बनाए रखें।
उन्होंने नए कमीशन प्राप्त अधिकारियों को बधाई दी और उनके बेदाग प्रदर्शन, सटीक ड्रिल मूवमेंट और परेड के उच्च मानकों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने उनसे किसी भी परिस्थिति में नए विचारों, नवीन सोच और आदर्शवाद के प्रति अपना खुलापन नहीं खोने का आग्रह किया।
उन्होंने पासिंग आउट परेड को युवा अधिकारियों के जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन बताया क्योंकि वे कैडेट से अधिकारी बनते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में वे परीक्षा से पहले प्रशिक्षक से सीख रहे थे। उसके विपरीत अब वास्तविक जीवन में उन्हें पहले परीक्षा का सामना करना होगा और अपनी गलतियों से सीखना होगा। उन्होंने कहा, खुला आसमान और जीवन आज से आपके प्रशिक्षक हैं।
कमीशनिंग समारोह के दौरान, फ्लाइट कैडेटों को रक्षा मंत्री द्वारा उनकी 'स्ट्राइप्सÓ से सम्मानित किया गया। इसके बाद अकादमी के कमांडेंट द्वारा स्नातक अधिकारियों को 'शपथÓ दिलाई गई।
सिंह ने स्नातक फ्लाइट कैडेटों को राष्ट्रपति कमीशन प्रदान किया। स्नातक अधिकारियों में 25 महिलाएं शामिल थीं जिन्हें भारतीय वायुसेना की विभिन्न शाखाओं में नियुक्त किया गया है। भारतीय नौसेना के आठ अधिकारियों, भारतीय तटरक्षक बल के नौ और मित्र देशों के दो अधिकारियों को भी उनका उड़ान प्रशिक्षण पूरा होने के बाद 'विंग्सÓ से सम्मानित किया गया।
रक्षा मंत्री ने प्रशिक्षण के विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षुओं को विभिन्न पुरस्कार भी प्रदान किये। उड़ान शाखा के फ्लाइंग ऑफिसर अतुल प्रकाश को पायलट पाठ्यक्रम में समग्र योग्यता क्रम में प्रथम स्थान पाने के लिए राष्ट्रपति पट्टिका और वायु सेना प्रमुख स्वोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। फ्लाइंग ऑफिसर अमरिंदर जीत सिंह को ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं के बीच योग्यता के समग्र क्रम में प्रथम स्थान पाने के लिए राष्ट्रपति पट्टिका से सम्मानित किया गया।
इससे पहले, रक्षा मंत्री का स्वागत वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने किया। परेड द्वारा उन्हें सामान्य सलामी दी गई और उसके बाद एक प्रभावशाली मार्च पास्ट किया गया।
कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड के दौरान प्रशिक्षक विमानों द्वारा एक समकालिक फ्लाई-पास्ट किया गया, जिसमें पिलाटस पीसी-7 एमके ढ्ढढ्ढ, हॉक और किरण के साथ-साथ चेतक हेलीकॉप्टर भी शामिल थे।
परेड का समापन नए कमीशन प्राप्त अधिकारियों द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर के 'आनन्दलोकेÓ के स्वरों पर धीमी गति से दो कॉलम में मार्च करने के साथ हुआ।
सुखोई-30एमके1 द्वारा लुभावने एरोबेटिक शो, हेलीकॉप्टर डिस्प्ले टीम 'सारंगÓ द्वारा सिंक्रोनस एरोबेटिक्स और 'सूर्यकिरणÓ एरोबेटिक टीम ने भी परेड में हिस्सा लिया।