केंद्र सरकार द्वारा 1 वर्ष पूर्व तीन कृषि कानून बनाए गए थे। जिसका देश के कई राज्यों में पुरजोर विरोध किया गया। लगभग 360 दिनों तक इस कानून को वापस लेने के लिए आंदोलन भी चला लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई। इस एक वर्ष में देश का काफी आर्थिक नुकसान भी हुआ । आमजन को भी आंदोलनों के कारण कई तरह की परेशानियों से रूबरू होना पड़ा। सरकार की हठधर्मिता के चलते ही इस तरह के हालात देश में पैदा हुए। जो निर्णय सरकार ने अब लिए यदि वही निर्णय समय रहते ले लिये होते तो देश को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। वही सरकार की भी किरकिरी नहीं होती ।अब सरकार कृषि कानून वापस लेने के बाद अपने बयान बदल रही है जबकि पूर्व में वह इस कानून की हिमायत कर रही थी।जब यह कानून वापस लेना ही था तो यह राजनीतिक नोटकी क्यों कि गयी?