जीवनोपयोगी तकनीकी का किफायती मॉडल विकसित करें प्रौद्योगिकी संस्थान : मुख्यमंत्री

Update: 2025-04-07 14:08 GMT



 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी प्रौद्योगिकी संस्थान अपनी जिम्मेदारी को परिसर तक सीमित नहीं रख सकता। समाज और राष्ट्र के प्रति भी उसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। आज तकनीकी से मानव जीवन में काफी आसानी हो रही है लेकिन महंगी तकनीकी का इस्तेमाल कर पाना सबके लिए संभव नहीं है। ऐसे में प्रौद्योगिकी संस्थानों को जीवनोपयोगी तकनीकी का किफायती और टिकाऊं मॉडल विकसित करने की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आना होगा। सीएम योगी सोमवार को मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 91 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 13 विकास कार्यों के लोकार्पण-शिलान्यास तथा शिक्षकों-शोधार्थियों को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंचीय कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री ने चार सीएनजी बसों को भी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तकनीकी महंगी होगी तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगी। आज जन सरोकार से जुड़े विषयों जैसे आवास, पर्यावरण, स्वच्छता आदि के लिए सस्ती और टिकाऊ तकनीकी समय की मांग है।

ऐसी तकनीकी आनी चाहिए जिससे आम जन सस्ता और टिकाऊ आवास बना सकें। एक उदाहरण देते हुए सीएम योगी ने सवाल किया कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये देती है, क्या हम ऐसी तकनीकी अपने स्तर पर विकसित कर सकते हैं कि इसी धनराशि के अंदर ही गरीब अपना मकान बना सके? यह मकान नौ माह की बजाय तीन माह में ही बन सके? इसी तरह उन्होंने ईंट भट्ठे के कारण भूमि की उर्वरता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि ईंट का विकल्प खोजने के लिए नई तकनीकी खोजने तथा सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए देसी पद्धतियों में समय के अनुरूप नवाचार करने की अपेक्षा जताई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा की सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की आवश्यकता इसलिए भी है कि सरकार कोई भी पैसा अपने जेब से नहीं देती है। बल्कि यह पैसा समाज के लोगों से ही प्राप्त होता है। सरकार को कर (टैक्स) माध्यम से जो पैसा प्राप्त होता है, उसे बजट बनाकर अलग-अलग विभागों के माध्यम से जनता के ही उपयोग के लिए खर्च किया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ईज ऑफ लिविंग के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति तक सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की पहुंच आवश्यक है। पर, यह भी ध्यान रखना होगा कि तकनीकी हमसे संचालित हो, हम तकनीकी से संचालित न हों। तकनीकी ने जीवन में बहुत परिवर्तन लाया है। लोगों के जीवन को बहुत आसान बनाया है।

शासन की सुविधा और शासन द्वारा अपनाई गई तकनीक एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं, इसके कई प्रमाण हैं। प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था में भी तकनीकी का ही योगदान है। इस व्यवस्था के पहले 2017 में जब एक ही दिन 80 हजार उचित मूल्य वाली दुकानों की जांच की गई तो 30 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़ में आए थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले वृद्धजनों, निराश्रित महिलाओं और दिव्यांगजन को महज 300 रुपये मासिक पेंशन मिलती थी और मैनुअल व्यवस्था के कारण उसमें में काफी पैसा किराए और बाबू के कट में चला जाता था। अब सरकार ने न केवल पेंशन की राशि बढ़ाकर एक हजार रुपये मासिक कर दी बल्कि सीधे खाते में रकम ट्रांसफर कर किराए और बाबू के कट से भी मुक्ति दिला दी है। यह तकनीकी का जनहितकारी इस्तेमाल है। सीएम योगी ने पूर्व में पथ प्रकाश के लिए लगे हैलोजन की जगह एलईडी लाइट के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होने और 1000 करोड रुपये की बचत होने को भी तकनीक के जन उपयोगी पक्ष का हिस्सा बताया। वॉटर ट्रीटमेंट की देशी पद्धति की जर्मनी में भी सराहना सस्ता और टिकाऊ तकनीकी की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में नगर निगम द्वारा दूषित जल के शोधन के लिए अपनाई गई देसी पद्धति की भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि महानगर का दूषित जल राप्ती नदी में सीधे गिरने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नगर निगम पर भारी भरकम जुर्माना लगा दिया था। तब नगर निगम के अधिकारियों ने एसटीपी लगाने के लिए 110 करोड रुपये का प्रस्ताव तैयार किया। जब यह प्रस्ताव उनके पास आया तो उन्होंने देशी पद्धति से वॉटर ट्रीटमेंट करने का सुझाव दिया था। इस पद्धति में सिर्फ दस करोड़ रुपये का खर्च आया। इसमें बोल्डर, बड़े और छोटे पत्थर और वनस्पतियों के बीच से होकर गुजरने वाला जल शोधित हो रहा है। गोरखपुर के इस देशी वॉटर ट्रीटमेंट का प्रेजेंटेशन नीति आयोग के सामने भी हो चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पद्धति की सराहना तकनीकी के मामलों में बेहद एग्रेसिव एप्रोच रखने वाले जर्मनी जैसे यूरोपीय देश ने भी की है। एआईए, रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग समय की मांग मुख्यमंत्री ने आधुनिक जगत में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी में हो रहे परिवर्तनों की चर्चा करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग समय की मांग है। उन्होंने कहा कि एआई और रोबोटिक्स से मानव जीवन की तमाम परेशानियों को दूर किया जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने कुछ नगर निकायों की तरफ से सीवर सफाई के लिए रोबोटिक्स के हो रहे इस्तेमाल की चर्चा की। साथ ही या आह्वान किया कि इस रोबोटिक्स के ऐसे मॉडल भी बनने चाहिए जो कम खर्चीले हों, जिससे आमजन भी इसका इस्तेमाल कर सकें। भारतीय मनीषा सतत की बजाय समग्र विकास की पोषक सीएम योगी ने कहा कि जब हम विकास की अवधारणा की बात करते हैं तो भारतीय मनीषा ने पश्चिम के सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सतत विकास) की बजाय समग्र विकास की परिकल्पना को सामने रखा। हमारा दृष्टिकोण समग्रता को लेकर होता है। सतत विकास में ध्यान किसी एक ही पक्ष पर होता है जबकि समग्र विकास में अलग अलग पक्षों से सबको साथ लेकर चलने की बात अंतर्निहित होती है।

यह भारतीय दृष्टि है कि हम समग्रता में विश्वास करते हुए विकास पथ पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी समग्र विकास की परिकल्पना को साकार करने में जुटा हुआ है। भारत एक बार फिर दुनिया को लीड करने की और अग्रसर मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के अंदर शिक्षा और तकनीकी में दुनिया का मार्गदर्शन करता था। हम विश्व गुरु कहलाए क्योंकि हम दुनिया मे लीड करते थे। सोलहवीं सदी के पहले दुनिया की जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक थी और यह तब था जब भारत ने बहुत कुछ खाया था। यानी अगर दसवीं सदी तक दुनिया की जीडीपी में आधे से अधिक हिस्सेदारी अकेले भारत की हुआ करती थी। अंग्रेजों ने अपने कालखंड में यहां के संसाधनों को लूट लिया। अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया। सीएम ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद भी 1947 से लेकर के 2014 तक आते-आते 65 से 70 वर्षों के दौरान भारत दुनिया की केवल ग्यारहवीं अर्थव्यवस्था बन पाया था। जबकि पिछले दस वर्ष के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हरेक क्षेत्र में विकास करते हुए देश दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था बन गया है।

वैश्विक महामारी कोरोना के कालखंड में जब दुनिया के आने का अनेक देश पस्त हो गए थे, तब भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने नागरिकों को मुफ्त राशन दे रहा था। मुफ्त में जांच, इलाज और वैक्सीन की सुविधा दे रहा था। एक नई पहचान के साथ आगे बढ़ता भारत अगले दो वर्ष में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। आज भारत के विकास की दर दुनिया के किसी भी देश से बेहतर दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत एक बार फिर दुनिया को लीड करने की ओर अग्रसर है। नवनियुक्त शिक्षकों को दी बधाई, उत्कृष्ट रैंकिंग हासिल करने के लिए किया प्रेरित सीएम योगी ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 769 नियुक्त शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि जिस कार्य के लिए उनका चयन हुआ है उस पर हर साबित होना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बनकर जवाब काम करेंगे तो विश्वविद्यालय के हिस्से आई उपलब्धि के हकदार आप भी बनेंगे।

यदि विश्वविद्यालय पर कहीं कोई डेंट आएगा तो उसकी भी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे। यह दोनों चीज जीवन में समान रूप से चलती हैं। कोई भी सफलता टीमवर्क से ही प्राप्त होती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को हासिल राष्ट्रीय, दक्षिण एशिया और एशिया स्तर तक की अच्छी रैंकिंग के लिए शुभकामनाएं दीं। साथ ही यह अपेक्षा भी की कि विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 50 और साउथ एशिया स्तर पर टॉप 100 के अंदर की रैंकिंग हासिल करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो चुनौतियों का सामना करता है वह निखरता है और जो उससे पलायन करता है वह बिखर जाता है। पूरे प्रदेश की चिंता करते हैं सीएम योगी : रविकिशन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद रवि किशन शुक्ल ने कहा कि सीएम योगी पूरे प्रदेश की चिंता करते हैं। प्रदेश के युवाओं को तकनीकी और प्रौद्योगिकी से सक्षम बनाने के लिए वे निरंतर कुछ नया मंथन करते हैं। सांसद ने कहा कि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है और यह वर्तमान समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में नई-नई उपलब्धियां को प्राप्त कर रहा है।

यहां विद्यार्थियों के हित में विकास के कई कार्य आगे बढ़ाई जा रहे हैं। सीएम योगी की प्रेरणा से हो रहा है विश्वविद्यालय का निरंतर विकास : कुलपति मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने अपनी संबोधन में मुख्यमंत्री का स्वागत करने के साथ ही विश्वविद्यालय की प्रगति व उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 76 नए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी तरीके से की गई है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति हुई है। कुलपति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से विश्वविद्यालय का निरंतर विकास हो रहा है।

इसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सतत उन्नयन हो रहा है। इस अवसर पर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव सहित कई जनप्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के शिक्षक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने नवनियुक्त शिक्षकों को शपथ दिलाई। इस अवसर पर सीएम योगी ने अनुसंधान एवं शोध प्रकाशन के लिए छह शिक्षकों और पांच छात्रों को पुरस्कार एवं तीन शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया मुख्यमंत्री ने।



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