परमाणु बिजली सुरक्षित और ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में समर्थ: उपराष्ट्रपति

Update: 2019-05-17 01:33 GMT

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि परमाणु बिजली ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में व्यापक कमी ला सकती है और उसमें देश में बढ़ती ऊर्जा की मांग को पूरा करने का सामर्थ्य मौजूद है।

श्री नायडू ने परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी), हैदराबाद के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वैज्ञानिकों और कर्मचारियो को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन विश्व की मौजूदा दौर की सबसे प्रमुख परमाणु चिंताओं में से एक है।

उन्होंने कहा कि आज यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आधुनिक प्रौद्योगिकियां सुरक्षित और विश्वसनीय हों। उपराष्ट्रपति ने कहा कि परमाणु बिजली ऊर्जा के विश्वसनीय और सुरक्षित विकल्पों में से एक है और उन्होंने 40 वर्षों से ज्यादा अर्से से बिना किसी गंभीर घटना के परमाणु बेड़े का संचालन  करने के रिकॉर्ड के लिए इसकी सराहना की।

श्री नायडू ने कहा कि भारत परमाणु ऊर्जा में भारत की बढ़ती दिलचस्पी का आधार यह गहन विश्वास है कि अणु की शक्ति का इस्तेमाल देश के मानवीय और सामाजिक विकास को प्राप्त करने में मददगार हो सकता है। 
उन्होंने कहा कि प्रदूषण में कमी लाना एक बड़ी चुनौती है।

विविध महत्वपूर्ण खनिजों की खोज करने के लिए अन्वेषण की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को ग्रहण करने के एएमडी के प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर बेहद खुशी हुई कि देश में तीन लाख टन से ज्यादा यूरेनियम ऑक्साइड के भंडार मौजूद हैं और लगभग 1200 मिलियन टन बीच सैन्ड मिनिरल के भंडार उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूरेनियम संसाधन में वृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास एएमडी द्वारा किया गया है। शुरूआती 60 साल के कार्यकलापों के दौरान मिले लगभग एक लाख टन से लेकर उसके बाद के 10 वर्षों में लगभग 2 लाख टन अतिरिक्त भंडार की खोज किया जाना बेहद सराहनीय है।’

श्री नायडू ने विश्वास व्यक्त किया कि कुडप्पा बेसिन सहित देश के विभिन्न भागों में एएमडी के अन्वेषण से और ज्यादा यूरेनियम की खानों तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त होगा।
 उपराष्ट्रपति ने एएमडी के 70 वर्षों के अन्वेषण और अनुसंधान के सम्मान में ‘कुडप्पा एकाश्मक’पटि्टका का भी अनावरण किया।

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