भगवा मार्च से घबराई ममता समाजवादी पार्टी के अखिलेश को मिला समर्थन

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भगवा मार्च से घबराई ममता समाजवादी पार्टी के अखिलेश को  मिला समर्थन
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कोलकाता के हरियाली के लहलहाते मैदान में सेहर करने के दौरान साम्यवादी हुकूमत और इंकलाब जिंदाबाद के आसमान चीरते नारे और तृणमूल कांग्रेस के आसपास माँ माटी और मनुष के नारे गूंजने के आदि हो गए थे।लेकिन विधानसभा चुनाव में तीसरे किस्म के हिंदुत्व के नारे गुंजायमान हुए।हिदुओ की आबादी में घटत भले ही हुई है लेकिन इस विधानसभा चुनाव में कोलकाता ने भगवा पार्टी के झंडे लहलहाते देख ममता की तबियत नासाज जरूर हुई थी।भाजपा को 72 सीटे मिलने के बाद ममता उसी अहंकार में रह रही है कि पांच साल के लिए मतदाताओ ने फिर से तृणमूल पर भरोसा जताया है।ममता की तुष्टिकरण की नीति और वोट बैंक की सियासत के कारण कोलकाता में हिन्दुओ पर अत्याचार बढ़ा।ममता जिस क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा उस इलाके के मतदाताओं पर बहुत जुल्म ढाए थे।जांच में बाहरआया।हिन्दू रीति रिवाजों ,संस्कृति और धरोहरों के बारे में नए सिरे से कोलकाता में जगरूकता जरूरी है।हिन्दुओ पर अत्याचार सहन नही किया जा सकता है।

ममता ने ठान लिया है कि 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़कर मोदी को हराना है।ममता को प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा होगा यह तो समय पर ज्ञात होगा।लेकिन यूपी में भाजपा का समीकरण बिगाड़ने के लिए समाजवादी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश को सहयोग देने लखनऊ पहुँची।मोदी और भाजपा से घृणा करने वाली ममता की दुःखती नस पर भाजपा ने हाथ रखा है।इसलिए दुश्मन की तरह व्यवहार कर्ती है।भाजपा मोदी और अमित शाह फूटी आंख नही सुहाते है।कोलकाता में हिन्दू तीज त्योहारों की इजाजत नही दी गई।जबकि मुहर्रम के लिए दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के वक्त में कटौती कर दी।कोलकाता वाम मोर्चा और कांग्रेस भगवा उभार को नही रोकपाने के लिए ममता को दोषी ठहराते है।योगी आदित्यनाथ के बारे में अपमानजनक बाते कही गई थी।जिससे योगी ने ममता पर कटाक्ष किया और ममता ने लखनऊ में भाजपा पर कटाक्ष कर पलटवार किया।


फुटबॉल थाम कर उछालती ममता ने पश्चिमी बंगाल की तरह ही यूपी में खेला होबे की तर्ज पर चुनौती दी है।ममता किसी भी कीमत पर और कोई भी हाल में मोदी की चुनावी रफ्तार में रोड़ा अटकाने के लिए पहले यूपी और उसके बाद लोकसभा चुनाव में तृणमूल का परचम लहराना चाहती है।2017 में ममता ने समाजवादी के लिए सहयोग किया था।उसका परिणाम सबके सामने है।मोदी को चुनाव हराने के लिए सभी पार्टीया एकजुट हो गई है।लेकिन मतदाताओ के जेहन में अभी तक यह नही आया है कि आखिर मोदी क्यो नही?

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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