''आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ चिंतनीय''

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आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ चिंतनीय

संसद में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानद ने समाजवादी पार्टी के सुखराम सिंह यादव को बताया क देश में तीन साल २०१८ से २०२० के अंतराल में करीब २५००० लोगों ने जिनमें दिवालिया होने पर १६०९१ और बेरोजगारी के चलते आत्महत्या की. माना कि अपनी गलती या अपरिहार्य कारणो से दिवालिया पर आत्महत्या करना व्यक्तिगत हो सकता है किन्तु बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या में सरकार की भी जवाबदारी बनती है. यूं तो आत्महत्या का कदम दर्दनाक ही है फिर चाहे कोई भी समस्या या कारण हो. क्योंकि समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं हो सकता. ये तो २०२० तक के ही आंकड़े हैं २०२१ के जोड़े जाएँ तो और भी अधिक हो सकते हैं. ये आंकड़े तो दिवालिया और बेरोजगारी तक सीमित हैं घरेलू और अन्य अनेक सामाजिक कारणों से भी देश में आत्महतयों का दौर थम नहीं रहा है. कहीं न कहीं सरकारी और सामाजिक कमियां जरूर इस ओर इशारा करती हैं. फिर चाहे वो सरकारी नीति से सम्बंधित हो या सामाजिक जागरूकता से से सम्बंधित. जो भी हो देश में आत्महत्या की घटनाओं का बढ़ना चिंतनीय है. इस ओर सामाजिक न्याय मंत्रालय, समाजसेवियों व सक्षम व समझदार परिवारों को ध्यान देना चाहिए साथ ही सरकार बेरोजगारी की बढ़ती समस्या के निदान हेतु भी विशेष कदम उठाये. ताकि दिन पर दिन बढ़ती घटनाओं थम सके

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