तबाही की तरफ़ बढ़ते दुनिया के कदम
युक्रेन पर लगातार रूसी हमला विभत्स रूप ले रहा है। राजधानी कीव पर घातक बमबारी से सड़कें गलियां सुनसान है। प्रचंड हवाई हमलों से बहुमंजिली इमारते...
युक्रेन पर लगातार रूसी हमला विभत्स रूप ले रहा है। राजधानी कीव पर घातक बमबारी से सड़कें गलियां सुनसान है। प्रचंड हवाई हमलों से बहुमंजिली इमारते...
युक्रेन पर लगातार रूसी हमला विभत्स रूप ले रहा है। राजधानी कीव पर घातक बमबारी से सड़कें गलियां सुनसान है। प्रचंड हवाई हमलों से बहुमंजिली इमारते जमीनोजद्द हो रही है। लाखों लोग अपनी जान बचाने के लिए पलायन कर चुके हैं। सैकड़ों निर्दोष आम नागरिक घातक मानवीय अविष्कारों की बलि चढ़ गए हैं। जमीन पर तलवारों से शुरू हुए युद्ध आज आधुनिक अस्त्र शस्त्रों के बल पर जल और आकाश तक प्रगति कर गए हैं। विज्ञान के विकाश ने जहाँ मानवीय जीवन को सुगम बनाया है वहीं दुसरी तरफ इसके प्राणघातक हथियारों के अविष्कारों के कारण पूरी दुनिया और इंसानी कौम कीमत चुका रही है।
इसका उद्धाहरण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान पर दो परमाणु हमलों के रूप में देखा जा सकता है। जहाँ आणविक हमले से हिरोशिमा, नागासाकी शहर सहित लाखों जिंदगियां तबाह हो गई थी।महाशक्ति बनने की चाह में अमेरिका रूस, ब्रिटेन , चीन ,फ्रांस जैसे देश परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर रहे हैं। इनके पीछे- पीछे अन्य देश भी अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए आणविक संपन्नता की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में ज्ञात लगभग 2060 परमाणु परीक्षण किए गए हैं।जिसमें से 85 प्रतिशत अकेले रूस और अमेरिका ने किये हैं। 18 मई 1974 को पोखरण मे अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण कर भारत भी परमाणु संपन्न देशों की श्रेणी में शामिल हो गया।इस तरह पूरी दुनिया में आज ज्ञात अज्ञात लगभग 70 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं। जो पृथ्वी जैसे ग्रह को अनेकों बार तबाह कर सकते हैं।अब यदि ऐसी परिस्थिति मे तीसरा विश्वयुद्ध होता है तो संपूर्ण मानव जाति का अस्तित्व खतरे में होगा।