योगी के हठयोग ने बनाया राजयोग* या *उत्तर प्रदेश की राजनीति ने लिखी नई इबारत*

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योगी के हठयोग ने बनाया राजयोग* या *उत्तर प्रदेश की राजनीति ने लिखी नई इबारत*



उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों में जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया है, उससे प्रदेश से जुड़े तमाम मिथक टूट गये। प्रचण्ड बहुमत के साथ भाजपा की योगी सरकार वापस आ गई।इसके निहितार्थ तलाशने की जरूरत है।भाजपा के पक्ष में जनता ने जो प्रचण्ड जनादेश दिया है उससे यह बात साफ हो गई कि योगी सरकार के काम काज से जनता संतुष्ट थी।काफी अरसे बाद उत्तर प्रदेश में हो रहे इन चुनावों में जनता और नेता दोनों को अथाह दिलचस्पी थी।भाजपा को हराने के तमाम समीकरण विपक्षियों ने सेट किये थे लेकिन जनादेश ने उन सभी को ध्वस्त कर दिया।पश्चिम हो या पूरब हर तरफ से बीजेपी सरकार के कार्यों पर जनता जनार्दन ने अपनी संतुष्टि की स्पष्ट मुहर लगा दी है। जिस पश्चिमी बेल्ट पर किसान आंदोलन की छाया मानते हुए विश्लेषक भाजपा के खराब प्रदर्शन का अंदाजा लगा रहे थे।चुनाव परिणामों में वहां भी भाजपा की शानदार विजय ने लोगों को हतप्रभ कर दिया।समाजवादी पार्टी ने इस बार सोशल इंजीनियरिंग की जो तमाम कड़ियां जोड़ी थी उनका भी कोई खास लाभ उन्हें नही मिल पाया।जनता ने उसको सिरे से खारिज कर दिया।उत्तर प्रदेश में अखिलेश ने जातीय गुलदस्ता सजाया तो बढ़िया था लेकिन वह कामयाब नही सका।


पहली बार इन चुनावों में उत्तर प्रदेश जातीय बंधनों को तोड़ता दिखाई दिया।2017 के चुनावों में मोदी मैजिक था, राम मंदिर का मुद्दा था और योगी का कोई चेहरा नही था, लेकिन 2022 के चुनाव में न तो राम मंदिर का मुद्दा ही था और न ही मोदी की 2017 जैसी लहर,कुछ नया था तो योगी का चेहरा और उनकी कार्य संस्कृति।विरोधी पार्टियों के कुतर्कपूर्ण तर्क भी उसे ले डूबी।ऐसे में योगी जी को मुख्यमंत्री के लिए लोगों ने चुना तो जाहिर सी बात है प्रदेश की जनता ने योगी जी के सत्ता संचालन के तौर तरीकों को सराहा है। अखिलेश यादव ने छोटे छोटे क्षत्रपों को जोड़कर जातिवाद की बेहतरीन गोलबंदी की लेकिन नतीजों ने साबित कर दिया कि जनता को अब जातियों के ठेकेदारों की परम्परा रास नही आ रही है।ओम प्रकाश राजभर , स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और तमाम ऐसे जाति विशेष की ठेकेदारी का दंभ भरने वाले नेताओं को जनता ने इस चुनाव में आइना दिखा दिया है। नतीजे साफ बता गये कि इन नेताओं की बिरादरी में इनकी एक नही चली।समाजवादी पार्टी को जिताने की इनकी अपील को इन्हीं की जाति के मतदाताओं ने खारिज करके भाजपा को वोट किया।उत्तर प्रदेश के परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में जाति आधारित वोट बैंक की राजनीति अब अन्तिम सांसे ले रही है।लोगों ने इस बार जातिवाद से ऊपर उठकर विकास और भाजपा की जनकल्याणकारी योजनाओं को ध्यान में रखकर वोट किया है।यह जीत भाजपा की ऐतिहासिक जीत है क्योंकि लगभग सैतीस वर्षों बाद उत्तर प्रदेश में कोई सरकार रिपीट होने जा रही है। यह चुनाव योगी आदित्यनाथ की सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी है जिसमें जनता ने परीक्षक के तौर पर उन्हें अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण किया है।योगी ने कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की जो डुग्गी पूरे चुनाव भर पीटी,प्रदेश की जनता ने उसमें वोटों के जरिये अपनी हां में हां मिला दी है।कोविड के दौरान केन्द्र और प्रदेश के साझा समन्वय से स्थिति को नियंत्रित करने में भाजपा सरकार की भूमिका को भी जनता ने सराहा है।बीजेपी को जनादेश देकर योगी सरकार की मानो पीठ थपथपाई हो।



कोविड के भीषण दौर में विपक्षी नेताओं की गुमशुदगी भी भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर गई।जनता यह मन ही मन सोच रही थी कि चुनाव के दौरान जो विपक्ष के नेता वोट मांगने हमारे दरवाजे खड़े हैं वे कोविड के संकट के दौरान कहां थे।महामारी के दौर में मुफ्त राशन वितरण और आगे भी उसका जारी रखना लोगों के दिलों को छू गया।योगी जी का हठयोग भी खूब कारगर रहा जिसने एक बार फिर उनके लिए राजयोग बना दिया।माफियाओं के दमन की नीति पर, गुंडों पर सख्ती की कार्रवाई ,कानून व्यवस्था के मसलों पर योगी की तटस्थता जनता को भा गई।योगी सरकार में माफिया राज और गुंडागर्दी का खात्मा हो गया था,महिलाएं सुरक्षा का एहसास करती थीं।विपक्ष इन मुद्दों पर योगी सरकार को अक्सर घेरता रहता था लेकिन योगी जी का बुलडोजर माफियाओं पर चलता गया।और चुनावी सभा में वे बेबाकी से इस बात को उठाते भी रहे कि आगे भी माफियाओं को बख्शा नही जायेगा।शायद जनता को यह बात पसन्द आ गई।योगी का हठ योग राजयोग बना गया।जनता ने न तो चुनाव में प्रियंका गांधी की फ्री स्कूटी को तरजीह दिया और न अखिलेश यादव के फ्री बिजली को।उसने भाजपा को जिताकर लोकलुभावन वायदों के जरिये सत्ता तक पहुंचने वाले लोगों को ठेंगा दिखा दिया है।उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों ने एक और मिथक तोड़ दिया।



यह प्रचार था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा चला जाता है उसकी सरकार नही रह जाती है।लोग इसी भय से नोएडा जाते डरते थे।लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को भी खत्म कर दिया।वे जानबूझकर नोएडा कई बार गये और अब दोबारा सरकार में वापसी भी कर चुके हैं।इस चुनाव के नतीजों ने यह मिथक भी तोड़ दिया।राष्ट्रवाद की बातें करने वाली भाजपा को लोगों ने बहुमत से जिताकर यह भी संदेश दिया है कि देश में रहकर देशहित की बातें करने वाले को आगे आने का मौका मिलेगा।तालिबान और पाकिस्तान मसले पर पूर्व में कुछ विपक्षी नेताओं की राष्ट्र विरोधी टिप्पणियों का भी उचित समय पर जनता ने उचित जवाब दे दिया है।कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की राजनीति अब परम्परागत ट्रैक से हटकर बदलाव की पटरी पर दौड़ती दिखाई दे रही है।

रमा निवास तिवारी

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