मोदी जीत के महानायक,मोदी मन्त्र से कांग्रेस ध्वस्त*
हार जीत चुनावी अंग है। यूपी उतराखण्ड,मणिपुर,गोवा और पंजाब में कांग्रेस हारी नही है ध्वस्त हो गई है।निकट भविष्य में उसका फिर से उभर पाना मुश्किल...
हार जीत चुनावी अंग है। यूपी उतराखण्ड,मणिपुर,गोवा और पंजाब में कांग्रेस हारी नही है ध्वस्त हो गई है।निकट भविष्य में उसका फिर से उभर पाना मुश्किल...
हार जीत चुनावी अंग है। यूपी उतराखण्ड,मणिपुर,गोवा और पंजाब में कांग्रेस हारी नही है ध्वस्त हो गई है।निकट भविष्य में उसका फिर से उभर पाना मुश्किल है।पंजाब में आम आदमी पार्टी का जादू चल गया।मोदी को काट कर पाना मुश्किल है।मोदी फैक्टर है जिससे चार राज्यो में भाजपा को जीत दिलाई है।उतराखण्ड में तो धामी हार गए है।उतराखण्ड में सबसे प्रचंड बहुमत किसी को नही मिला है।लेकिन भाजपा फिर से सत्ता में आई है।कांग्रेस के लिए चौकान्ने वाले परिणाम है।जिस तरह से कांग्रेस की यूपी और मणिपुर गोवा पंजाब और उतराखण्ड में हार हुई है ,यह शायद कांग्रेस को आशा नही थी।दरअसल कांग्रेस भीतर से खोखली हो गई है।यूपी में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर रही है।कांग्रेस में हरीश रावत के अलावा कोई कद्दावर नेता नही बचा है।
पंजाब में अकाली दल और भाजपा की बुरी हालत हुई है।गढ बचाने की जद्दोजहद में पिछड़ गई है।पंजाब कांग्रेस में खींचतान का ही नतीजा था कि कांग्रेस ने हार का सामना किया।भाजपा ने अमरेन्दरसिह को गले लगाकर बहुत बड़ी भूल की थी।जिससे जनता ने त्रिकोणीय विकल्प साध कर आम आदमी पार्टी की झोली में वोट डाल दिए।वहां कांग्रेस ने कुछ काम नही किया था।उधर अकाली भाजपा का गठबंधन नागवार गुजरा।गोवा विधानसभा चुनाव में भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।गोवा में आम आदमी का खाता भी नही खुला है।इस मे टीएमसी ने चार सीटों पर जीत हासिल की है।हालांकि गोवा में जोड़तोड़ से सरकार बनेगी।भाजपा ही सरकार बनाएगी।विपक्षी दलों के मंसूबे धराशायी हो गए।मणिपुर में भाजपा ने इतिहास रच दिया।सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।मणिपुर में जनमत इसके साथ दिख रहा है।2017 में कांग्रेस के पास 28 सीटे थी।इस बार भाजपा नेबाजी मारी है।यह विकास की भारी जीत है।2017 में कांग्रेस सत्ता में थी।लेकिन भाजपा ने 21 सीटे जीतकर बहुत बड़ी टक्कर दी थी।इस बार मोदी लहर ने कांग्रेस के मंसूबो पर पानी फेर दिया।60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में 31 विधायको की जरूरत होती है।यूपी में लोगो को अखिलेश का न काम पसंद था और नाम पसंद था।क्योंकि भ्रष्टाचार के सामने सुशासन की जीत हुई है।।मोदी के विकास के नारों को गंभीरता से लिया है।ढोल की थाप और भोजपुरिया अंदाज में उतर भारत होली के पूर्व रंगों में रंग गया है।लेकिन हार जीत तो होती ही है फिर भी अखिलेश के हौसले बुलंद है।कांग्रेस का कुशासन और अंदरूनी खींचतान सुशासन के सामने फीकी साबित हुई।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*