विधानसभा चुनाव में हार के बाद मची रार

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विधानसभा चुनाव में हार के बाद मची रार


पांच राज्यो में कांग्रेस की बुरी तरह से पराजय के बाद संगठन के कामकाज को लेकर फिर से नई रणनीति बनाने की कोशिश की जा रही है।संगठन को लेकर खामियों की चर्चा हुई है।हार की समीक्षा की जगह रार पैदा हो गई है।टीपू की सपा ने माहौल तो बनाया था लेकिन भाजपा के विकासवाद को नही तोड़ पाए।तीन बार गठबंधन के बावजूद सपा को हार का सामना करना पड़ा।दूसरी बार भाजपा सत्ता में आने से नाराज सपा नेता ने अपने आप को आग लगा दी।कांग्रेस पार्टी में यूपी ही नही देश मे दमखम नही है।प्रियंका के सहारे चुनाव जीतने निकली कांग्रेस अपनी पारम्परिक सीट रायबरेली और अमेठी भी नही बचा पाई।बुआ ने एक सीट हासिल कर सभी महत्वकांशा पर ताला लगा दिया।


मुख्यमंत्री की दावेदार प्रियंका गांधी ने कांग्रेस को संजीवनी नही दिला सकी।लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा देने वाली कांग्रेस की अठारवीं विधानसभा में मूकदर्शक ही रह गई।भाजपा के सामने एक नही चली।33 साल से कांग्रेस यूपी में सत्ता से अलग है।सपा ने बुआ मुस्लिम दलित वोट अपने पाले में कर दिए।यूपी में सपा की टिकट पर33 मुस्लिम उमीदवारो ने जीत का सेहरा बांधा है।कांग्रेस में कुछ नेता कुंडली मार कर बबैठे हुए है इसलिए कांग्रेस पार्टी का नुकसान हो रहा है।कांग्रेस ने आधी आबादी को साधने के लिए महिलाओं को टिकट दिया।40 प्रतिशत महिलाओ को टिकट दिया ,लेकिन टॉय टॉय फीस हुआ।कांग्रेस अब तक लचर प्रदर्शन की साक्षी बनी है।पांच राज्यो में सर्वाधिक विधायक होने के बावजूद हार जाना कांग्रेस के लिए सबसे खराब समय है।कांग्रेस पार्टी की साख गिर चूकी है।इनके नेता बेफाम अभद्र भाषा का प्रयोग कर सुर्खियों में रहना पसंद करते है।


जिससे जनता पसंद नही करती है।उधर अखिलेश ने ऐनवक्त पर नेताओ को पार्टी से निकालने औरअपने चाचा शिवपाल यादव को पार्टी में महत्व नही देना प्रमुख कारण रहा है।योगी ने गुंडागर्दी को खत्म करने का मुद्दा उठाया।सपा पर तमंचावादी पार्टी का सम्बोल देना सपा के लिए हार का कारण बना।अखिलेश ने आजम खान को टिकट देकर बड़ी भूल की थी।देश की राजनीति में कांग्रेस का जनाधार कम हो गया है।अब फिर से उठ पाना मुश्किल है।राहुल गांधी के अपरिपक्व नेतृत्व और प्रियंका गांधी ने कांग्रेस को मजबूत बनाने का बीड़ा उठाया,लेकिन योगी और मोदी के आगे किसी की एक नही चली।

*कांतिलाल मांडोत *

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