दो मोर्चो पर लोहा ले रहे है कैप्टन अमरेन्दरसिह*
चुनाव में हार के बाद कैप्टन अमरेन्दरसिह दो मोर्चो पर लोहा ले रहे है।एक मुख्यमंत्री का पद गंवा चुके और दूसरा खुद कैप्टन विधानसभा चुनाव हारने से पैदा...
चुनाव में हार के बाद कैप्टन अमरेन्दरसिह दो मोर्चो पर लोहा ले रहे है।एक मुख्यमंत्री का पद गंवा चुके और दूसरा खुद कैप्टन विधानसभा चुनाव हारने से पैदा...
चुनाव में हार के बाद कैप्टन अमरेन्दरसिह दो मोर्चो पर लोहा ले रहे है।एक मुख्यमंत्री का पद गंवा चुके और दूसरा खुद कैप्टन विधानसभा चुनाव हारने से पैदा हुए हालात से चिंतित है।कांग्रेस के नेता ही उनको साफ कर देना चाहते थे।क्योकि उंन्होने अपनी पार्टी बनाई।कांग्रेस उनके ही रजनौतिक पैन्तरो का स्वाद चखाया।भ्रष्टाचार के मामलों में तपिश उनकी दूसरी तेजी से बढ़ती मुसीबतों में महज एक थी।लेंकिन सत्यनिष्ठ हरफनमौला कैप्टन ने आंच नही आने दी।कांग्रेस में नवज्योतसिह सिद्दू ने कैप्टन के साथ दुर्व्यवहार किया।उनका मुख्यमंत्री पद छीना गया।लेकिन हिमत नही छोड़ी।उनको यह मालूम था कि पंजाब की हवा दूसरी तरफ बह रही है।कैप्टन अमरेन्दरसिह बने रहते तो मतदाताओ की मानसिकता दूसरे विकल्प के लिए कदापि नही सोचती।
उनके साथ पहले भी और अभी वर्तमान में भी जहरीला अभियान एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार को लेकर था। जिसमे सिद्दु ने बड़े ठहाके लगाए।कहावत है कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है।वो ही उस गड्ढे में जा गिरता है।पंजाब कांग्रेस में विरोधाभासी हलचल बढ़ने के साथ ही अरविन्द केजरीवाल ने बाजी मार दी।त्रिकोणीय मोर्चे में भगवत मान के नाम मुख्यमंत्री पद की घोषणा करते ही पानी और बिजली की ऑफर दे दी।अकाली दल के साथ जनता नही जाना चाहती थी।क्योंकि कई वर्षों तक अकाली दल ने शासन किया है।पार्टी की बेरुखी के कारण कैप्टन ने अपने बूते लड़ाई की है।लेंकिन अपनी नई नवेली पार्टी पर मतदाताओ ने भरोसा नही कर तीसरा विकल्प चूना।भगवत मान एक सज्जन व्यक्ति है। पंजाब की राजनीति में पकड़ है।पांच साल तक कोई अवसर नही मिलने वाला है।पांच साल का समय बहुत मायने रखता है।कुर्सी चाह में कांग्रेस की हालत इतनी खराब हुई कि बड़े बड़े धुरंदर हार गए।चन्नी की हार से कांग्रेस की साख भी दांव पर लग गई।कांग्रेस खोखली हो चुकी है।कांग्रेस अब ध्वस्त हो चुकी है।कांग्रेस की नैया पार तभी लग सकती है।जब साफ छवि और साफ सुथरा शासन दे।अब तो इंतजार ही करना पड़ेगा।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*