''अपने गरेबाँ में झांके पाक''....

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अपने गरेबाँ में झांके पाक....

''आधी रोटी में दाल लेने की आदत सी हो गई है पाक को. मामले छोटे हों या बड़े, सैनिकी हों या सामाजिक अथवा राजनीतिक, पड़ौसी के घर में झाकेँ बिना न तो उसका दिन कटता है चैन से न ही रात को नींद आती है. कभी कश्मीर के दरवाजे से झांकता है तो कभी दिल्ली के दरवाजे से और अब वह कोर्ट के दरवाजे में भी दखल देने लगा है. उसे भारत के मामले में इतना ध्यान रखना चाहिए कि यहाँ उससे कई गुणा बेहतर है सेक्युलेरिज्म.


जरा सेक्युलरिजम के बारे में गहन मनन करके अपने गिरेबां में झांककर निष्कर्ष निकाल ले और दुनिया के देशों से पूछ ले कि किसकी धर्मनिरपेक्षता पारदर्शी है और किसकी नहीं. स्कूल-कॉलेज या विभिन्न संस्थाओं में क्या स्वयं के यहाँ ड्रेसकोड नहीं है जो भारत के ड्रेसकोड को धार्मिक आजादी का हनन बता रहा है पाक ? यहाँ तो सभी को रहन-सहन, पहनावे, खानपान, अभिव्यक्ति की पूरी आजादी है और पाक से बेहतर भी. अतः वह कुछ बयानबाजी करने से पहले अपने घर के बारे में भी आत्ममंथन कर लिया करे तब पड़ौसी पर व्यर्थ की बयानबाजी किया करे........


महेश नेनावा

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