जल के बिना प्राणी मात्र के जीवन की कल्पना ही अधूरी*

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जल के बिना प्राणी मात्र के जीवन की कल्पना ही अधूरी*


जल ही जीवन है।पानी की जरूरत मानव, पेड़ पौधे और पशु जगत को समान रूप से होती है।जल जीवन की सच्चाई है।एक एक बूंद सहज कर आने वाली पीढ़ी को जीवन को तरबतर कर सकते है।भारत के सामने नई चुनौतिया मुंह फाडे खड़ी है।भारत की अधिकांश प्रायद्वीपीय नदिया बरसात के बाद के बहाव की समस्या से जूझ रही है।पानी की जिस किसी ने अहमियत नही समझी उसका जीवन संकट में गिर सकता है।हमारे जैन समाज मे पानी का खर्च भी सीमित किया जाता है।हमारे साधु भगवंत पानी की बचत के लिए प्रायः व्याख्यान में मुद्दा उठाते है।वैसे भी पानी मे जीव होता है।जिससे पानी को जरूरत से ज्यादा उपयोग में नही ले सकते है।पानी को फालतू बहाने पर बड़ो के द्वारा टोका जाता है और पानी का अपव्यय पाप की श्रेणी में आता है।पृथ्वी पर 3/4पानी है लेंकिन पानी पीने के लिए उपलब्ध नही होता है।पानी का संकट गरमी आने पर ही बढ़ता है।हर वर्ष बरसात के अभाव में सूखा पड़ता है।वहाँ पानी की कमी होती है।गरमी की शुरुआत हो गई है।नदिया और कुएं में जल स्त्रोत सुख रहा है।पानी को बचाना है।पानी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण भाग है।जो लोग पानी की कीमत नही समझते है उनका जीवन पशु समान है।सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि नदिया भूजल के दोहन का शिकार है।भूजल की बुनियादी बहाव ने हमारी ढेर सारी लाभकारी नदियों को घाटे की नदियां बना दिया है।राज्य के सामाजिक आर्थिक हालात जो भी हो प्रत्येक व्यक्ति को आजीवन स्वच्छ जल की व्यवस्था घर पर करनी चाहिए।सबका जल स्त्रोत पर समान अधिकार होना चाहिए।जल संसाधन मंत्रालय बढ़ती गरमी में राज्यो को आदेश जारी कर पानी की किल्लत जेल रहे लोगो को राहत उपलब्ध कराए।जल ही जीवन है।जल बचेगा तो जीवन भी बच जाएगा।भारत को जल के साथ जोड़ने की जरूरत है।जल आज कल और भविष्य की जरूरत है।पानी को बचाना है जिसे आने वाली पीढ़ी के लिए पानी उपहार बन सके।सरकार को पानी के संचय की रूप रेखा आज ही बनानी है।जिस तरह से नदिया सुख रही है।भूजल की कमी दिखाई दे रही है।उससे हम भलीभांति परिचित है।आगे चलकर पानी की भारी समस्या हो सकती है।सबकुछ सहज मिल जायेगा और पानी ही नही मिलेगा तो हम अपनी और अपने स्नेहीजनों के लिए किस तरह मददगार बन सकेंगे।जल ही जीवन है और विकास का मजबूत पाया ही जल ही है।

*कांतिलाल मांडोत *

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