''परिवारवाद से इतर भाजपा''.....

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परिवारवाद से इतर भाजपा.....

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ''पार्टी नेताओं के स्वजनों को राजनीति (चुनावों) में न उतारने का संकेत पार्टी में बढ़ते स्वजन व परिवारवाद को अवश्य लगाम लगाएगा. एक तरह से प्रधानमंत्री का संकेत वाजिब है क्योंकि जब भाजपा स्वयं परिवारवाद से दूर रहने के सन्देश (उपदेश) देती है अथवा परिवारवाद का विरोध करती है तब प्रधानमंत्री का सन्देश एकदम सही है. जिसका पार्टी स्तर पर पालन होना चाहिए. इससे पार्टी की अन्य प्रतिभाओं को निष्पक्ष रूप से राजनीति में अवसर मिलेगा और वे बेहतर देश सेवा कर सकेंगें. दूसरा परिवारवाद की राजनीति से देश देख रहा है कतिपय राजनीतिक दलों का हश्र.


तब तो परिवारवाद से इतर भाजपा जो कदम उठा रही है वह बहुत ही सोचसमझकर उठा रही है जो कि पार्टी के भविष्यिक हित में कारगर साबित भी होगा. इससे परिवारवाद और भाई-भतीजावाद पर भी लगाम लगेगी. एक बात और महत्वपूर्ण है देश हित में कि राजनीतिक दलों में ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं की देश में कमी नहीं है. अगर सभी क्षेत्रों में प्रतिभाओं को निष्पक्ष रूप से व पारदर्शी तरीके से सेवा का मौका मिले तो हमारा देश कुशलता का धनी बन सकता है और तेजी से नई ऊंचाइयां हर क्षेत्र में छू सकता है. इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए क्योंकि देश में विभिन्न कर्मचारी चयन प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं. जिससे प्रतिभाओं का हनन होने लगा है.........


शकुंतला महेश नेनावा

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