शराब पीने का चलन सार्वजनिक स्थानों पर भी बढ़ने लगा*

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शराब पीने का चलन सार्वजनिक स्थानों पर भी बढ़ने लगा*


नशा नाश करता है।यह कहावत चरितार्थ होती दिख रही है ।नशे के आदी लोग कई प्रकार की बीमारी मोल ले रहे है।नशे की लत से बना बनाया घर टूट रहा है।आज गुजरात और बिहार में सम्पूर्ण शराबबंदी है।लेकिन शराब पीने के लिए पड़ोसी राज्य में अक्सर जाते है।शराब के सेवन से परिवार का परिवार उजड़ गया है।जिन राज्यो में शराबबंदी नही है।उन राज्यो में लोग सार्वजनिक स्थानों में शराब पीते है।जिन राज्यो में शराबबंदी नही है उन राज्यो में शराब के खिलाफ अभियान भी चलाया जा रहा है।दिल्ली देश की राजधानी है।यहाँ पर सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वाले हर नुक्कड़ चौराहा पर मिल जाएंगे।दिल्ली सरकार ने तो सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों को पांच से दस हजार का दंड लगाने का प्रावधान रखा।


उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया रेडियो और एफएम पर उनकी ही आवाज गूंजती थी।शराब निषेध अभियान में दिल्ली सरकार ने करोडो रुपए विज्ञापन में खर्च कर दिए।इससे अच्छा था कि दिल्ली में शराबबंदी ही कर देते।शराबी पर चालान करने खुद मनीष सिसोदिया दिखाई दिए।सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर सरकार ने कार्रवाई भी की थी।लेंकिन कुल चार सौ से कुछ ज्यादा ही थी।सार्वजनिक स्थानों का उपयोग महिलाएं भी करती थी।कार में बैठ कर शराब पी जा सकती है और कभी पकड़े भी नही जाते है।लोग चलती कार में,मेट्रो पार्किंग, मॉल पार्किंग,सुनसान सड़क के किनारे मैकेनिकल की गैराज के पास आसानी से मिल जाती है।


लोग कार में शराब पीने को ज्यादा जायज मानते है।सरकार खुलमखुला शराब बेच सकती है तो लोग अपने निजी कार में क्यो नही पी सकते है?कार चलाने वाले के लिए पाबंदी हो सकती है ,लेकिन पीछे बैठी सवारी क्यो नही पी सकती है।बिहार में जहरीली शराब से इस वर्ष दो सौ व्यक्ति मर चुके है।गुजरात मे शराबबंदी है फिर भी लोग दीव और दमन शराब पीने जाते है।शराबबंदी या जबरदस्त थोपी गई पाबंदी से लोग नही मानते है।चोरी छुपे शराब पीने के लिए अपना विकल्प खुद सोचते है।लेकिन यह शरीर के साथ पैसे परिवार सबकुछ छीन जाता है।

*कांतिलाल मांडोत *

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