भारत ने निर्यात के क्षेत्र में रच दिया नया इतिहास

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भारत ने निर्यात के क्षेत्र में रच दिया नया इतिहास

ब्रांड इंडिया का परचम दुनिया भर में लहरा रहा है। भारत ने निर्धारित तिथि से 9 दिन पहले ही 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य प्राप्त कर एक नया इतिहास रच दिया है। दो साल महामारी से जूझने के बाद, निर्यातकों की मेहनत अब रंग ला रही है। पिछले वित्त वर्ष में जो निर्यात 292 अरब डॉलर रहा, वह 37 प्रतिशत उछाल के साथ 22 मार्च को 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया। इस साल भारत का औसत निर्यात 33 अरब डॉलर प्रति माह, और एक अरब डॉलर प्रतिदिन रहा, यानी हर घंटे औसतन 4.6 करोड़ डॉलर भारतीय माल एक्सपोर्ट हुआ। भारतीय निर्यात ने विगत दिसंबर में ही शानदार प्रदर्शन करके उम्मीद जगा दी थी कि 400 अरब डॉलर का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश ने 100 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो बेहद उत्साहजनक था। कोरोना की दूसरी लहर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया था, लेकिन भारतीय निर्यात पर इसका खास असर नहीं हुआ। दिसंबर में ही भारतीय माल की वैश्विक मांग में सुधार दिखने लगा था, जब निर्यात 37.29 अरब डॉलर के उच्चतम मासिक स्तर पर पहुंच गया था।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए, होम टैक्सटाइल एक्सपोर्टर्स वैलफेयर एसोसिएशन (हेवा) के डायरेक्टर, विकास सिंह चौहान ने कहा कि यह एक शानदार उपलब्धि है, जिसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत, मेड इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल का विजन है। साथ ही, इसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का बहुत बड़ा योगदान है, क्योंकि उन्होंने सब कुछ बड़ी तेजी से फॉलो किया और निर्यातकों के साथ भी वह निरंतर संपर्क में रहे। एक्सपोर्ट में कामयाबी की कहानी आगे भी जारी रहेगी। हालांकि 2022-23 में 1 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य पाने के लिए प्रयास तेज करने होंगे। नि:संदेह भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर रही है। निर्यात में वृद्धि सरकार के कुछ फैसलों के चलते भी हुई है, जैसे रिबेट ऑफ स्टेट एंड सेंट्रल लेवीज एंड टैक्सेस (RoSCTL) का विस्तार, रिफंड ऑफ ड्युटीज एंड टैक्सेस ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स (RoDTEP) की सुविधा, निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं जैसे प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI) के लिए 56,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान और दूसरी लहर में लॉकडाउन के दौरान मिली छूट आदि।

हेवा के संस्थापक, अनंत श्रीवास्तव कहते हैं कि महामारी के बाद अमेरिका व यूरोप जैसे प्रमुख आयातक बाजार कीमतों के बजाय टिकाऊ व पर्यावरण हितैषी उत्पादों और सेवाओं के प्रति अधिक जागरूक हुए। लगभग सभी प्रमुख ब्रांड चाइना प्लस वन नीति पर चल रहे हैं, जिनमें भारत भी एक बड़ा लाभार्थी है। अगले कुछ वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात और 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी पाने के रास्ते में उच्च माल ढुलाई शुल्क, कच्चे माल की लागत, प्रमुख एफटीए की कमी, इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसे पूर्ण कार्यात्मक वैकल्पिक मार्ग जैसी कुछ चुनौतियां भी हैं। भारत को अगले कुछ वर्षों में 100 अरब डॉलर के वस्त्र निर्यात लक्ष्य को पाने के लिए कॉटन में कच्चे माल की बढ़ती लागत को नियंत्रित करने के लिए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत है। उधर, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के प्रेसीडेंट डॉ. ए शक्तिवेल कहते हैं कि सर्वोच्च एक्सपोर्ट लेवल हासिल करना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इससे जाहिर होता है कि भारतीय माल विश्व को भा रहा है।

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