''देश में ही हों पढ़ाई के बेहतर विकल्प".........
चीन में बढ़ती कोविड महामारी के चलते अनेक पाबंदियां लगा दी गई हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए यूजीसी राजी नहीं है. उधर रूस-यूक्रेन महायुद्व के कारण यूक्रेन में...
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चीन में बढ़ती कोविड महामारी के चलते अनेक पाबंदियां लगा दी गई हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए यूजीसी राजी नहीं है. उधर रूस-यूक्रेन महायुद्व के कारण यूक्रेन में...
चीन में बढ़ती कोविड महामारी के चलते अनेक पाबंदियां लगा दी गई हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए यूजीसी राजी नहीं है. उधर रूस-यूक्रेन महायुद्व के कारण यूक्रेन में सबकुछ बर्बाद होता नजर आ रहा है. भले ही ''विश्वयुद्व'' न हो या टल जाए किन्तु ''वर्ल्डवार'' की आहट से इंकार करना भी ठीक नहीं है. ऊँट कब किस करवट बैठ कुछ कह नहीं सकते. ऎसी असमंजस्य की स्थिति और भविष्य में प्रतिभाओं के हितों के मद्देनजर हमें उच्च तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा की बेहतरी के लिए बजट में बढ़ौतरी करनी चाहिए. सरकारी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के विस्तार और बेहतर पढ़ाई के लिए योजना बनानी चाहिए. हम चाहते हैं कि 'स्वदेशी अपनाओ'' तब हमको स्वदेश में ही बेहतर शिक्षा और चिकित्सा मिले ऐसी योजनाओं की और ध्यान देने की अतिआवश्यकता है.
अगर देश में ही सस्ती शिक्षा और चिकित्सा मिले तो हमारी प्रतिभाएं कभी भी विदेश की ओर रुख करने का नहीं सोचेगी और न ही इलाज के लिए भी विदेश जाने पर लोग विचार करेंगे. अतः सस्ती और बेहतर शिक्षा एवं इलाज लोगों को मुहैया हों ऎसी सुदृढ़ व्यवस्था पर हमारी सरकार गंभीरता से मनन करे. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह भी एक अतिउत्तम कदम होगा....... शकुंतला महेश नेनावा