'''देश में विदेशी विशिष्टों का दौरा, कुछ तो ख़ास है"......

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देश में विदेशी विशिष्टों का दौरा, कुछ तो ख़ास है......
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चीन, रूस, अमेरिका, यूरोपीय संगठन, ब्रिटैन, मेक्सिको, इजराइल, नेपाल आदि देशों के विशिष्ट मंत्री, अधिकरी जिनमें कुछ आ के चले गए तो कुछ आने वाले हैं रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे घमासान पर कूटनीतिक चर्चा के लिए. दुनिया के इतने विशिष्टों का भारत आना और चर्चा करना कुछ तो मायने रखता है. एक तरफ विपक्षी पार्टियों के सदस्य संसद-विधानसभाओं के सत्रों के चलने नहीं देते और कभी हंगामा तो कभी वाकआउट करते हैं. दूसरी ओर विदेशों से भारत में विशिष्ट चर्चा के लिए लालायित हो रहे हैं.


मतलब कुछ ख़ास है भारत और भारतीय सरकार में. युद्व के दौरान यूक्रेन में चलते विध्वंस में से भारतीयों को सुरक्षित निकाल लाना, रूस से सस्ता तेल प्राप्त कर लेना, साथ ही उसे साध के रखना, अमेरिकी मनमुटाव के बावजूद अमरीकी अधिकारियों का हमारे यहाँ आना, चीन से झड़प के बावजूद चीनी मंत्री का आना, यहाँ तक कि पाक प्रधानमंत्री इमरान खान का भारत के विकास की तारीफ़ करना ये सब देश की कूटनीतिक जीत ही दर्शा रही है. इसमें कोई दो मत नहीं कि देश में अन्तर्द्वन्द्व को संभालना और दुनिया के देशों को अपना बनाकर रखना यह मोदी सरकार की खासियत को ही दर्शा रहा है. देश में विदेशी विशिष्टों के आने से हो सकता है एक बहुत बड़ा समाधान निकल सकता है. हो सकता है रूस-यूक्रेन के बीच एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे महायुद्व की इतिश्री हो जाए और तृतीय विश्व युद्व की आशंकाएं भी समाप्त हो फिर से दुनिया अमन और विकास की नईदुनिया में प्रवेश कर जाये, जैसा कि सारी दुनिया भी चाहती है. ......


शकुंतला महेश नेनावा

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