अन्य पार्टी में संभावनाएं तलाश रहे है शिवपाल यादव
रास्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की सलाह पर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कुछ दागियों को पार्टी में शामिल कर दिया।उसके बाद समाजवादी ड्रामा चला वो...
रास्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की सलाह पर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कुछ दागियों को पार्टी में शामिल कर दिया।उसके बाद समाजवादी ड्रामा चला वो...
रास्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की सलाह पर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कुछ दागियों को पार्टी में शामिल कर दिया।उसके बाद समाजवादी ड्रामा चला वो करीब छह महीने तक लगातार चलता रहा।शिवपाल यादव ने उस समय ही फैसला कर लिया कि समाजवादी पार्टी अपनी पार्टी के रूप में हम चला रहे है लेकिन मुलायम के बाद हमारा भविष्य अंधकामय हो जायेगा।समाजवादी की हार के बाद योगी ने यूपी की बागडोर संभाल ली है।लेकिन शिवपाल यादव का योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद सरगर्मियां तेज हो गई है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी शिवपाल यादव ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद योगी से मुलाकातों के इस दौर में शिवपाल अपने पुत्र का रजनौतिक भविष्य की संभावनाएं भाजपा में तलाश रहे है।मुलायम का भ्राता प्रेम को देखते हुए अपने पुत्र अखिलेश से मुलायम भीड़ गए थे।
शिवपाल यादव उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए यादव भाजपा में शामिल होने की पूरी संभावना जताई जा रही है।समाजवादी पार्टी और यादव परिवार से दो दिग्गज नेता अपनी खुद की पार्टी को छोड़कर भाजपा की तरफ रुख करते है तो यह एक प्रबल विचाररधारा के समर्थक विदित होंगे।शिवपाल यादव का सबसे बड़ा व्यू पॉइन्ट है कि अपने पुत्र आदित्य यादव का भविष्य सुरक्षित करना है।अपने भतीजे अखिलेश यादव का अपने परिवार के प्रति लगाव और चाचा शिवपाल के साथ कुटुम्बिक स्नेह का नजारा 2017 में देख चुके है यादव परिवार से दो नेताओं का अपनी ही पार्टी छोड़ अलग पार्टी में शामिल होना देशभक्ति और भाजपा की देश के प्रति देश भावना का जीता जागता उदाहरण है।यादव को चुनावी मैदान में उतार कर ताल ठोक सकते है।इन अटकलों को अगर सही मान लिया जाए तो विरोधियों की भोहे तन चुकी है।कई नेताओं की नींद उड़ चुकी है।जो यह नही चाहते है कि यादव योगी के साथ विपक्षी दल में शामिल हो जाए।इनका खंडन नही किया है।शिवपाल यादव का भाजपा में अपना और अपने पुत्र का भविष्य सुरक्षित रहेगा।समाजवादी षड्यंत्र का भले ही एक हिस्सा रहा हो,लेकिन मुलायमसिंह के पूरे जीवन पर बट्टा लगा दिया।
*कांतिलाल मांडोत *