''उफ़ बढ़ती गर्मी और जंगल में आग''....
देश में दूरस्थ कुछ जंगलों में आग लगने की घटना से चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हेलीकॉप्टर से जंगल की आग बुझाई जा रही है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उड़ीसा,...
देश में दूरस्थ कुछ जंगलों में आग लगने की घटना से चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हेलीकॉप्टर से जंगल की आग बुझाई जा रही है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उड़ीसा,...
देश में दूरस्थ कुछ जंगलों में आग लगने की घटना से चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हेलीकॉप्टर से जंगल की आग बुझाई जा रही है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, जम्मू -कश्मीर, छत्तीसगढ़ में हाल ही जंगलों में आग की घटनाएं घटित हुई हैं. प्राकृतिक कारण जैसे तापमान बढ़ना, बरसात कम होना, सूखे पत्तों का बढ़ना, और लोगों की लापरवाही जैसे शिकार के लिए आग जलाना, जलती बीड़ी-सिगरेट फेंकना आदि हो सकता है. ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना भी दुनियाभर में बढ़ती आग का प्रमुख कारण हो सकता है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग तेजी से दुनिया में बढ़ रहा है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता. दुनिया के देशों के साथ ही हमारा देश भी पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए कारगर कदम उठा रहा है. फिर भी इस ओर और अधिक ध्यान देने की जरुरत है. बहुत समय से हमारे देश में ''हरियाली और खुशहाली'' कार्यक्रम चल रहा है. उसे आज की स्थिति को देखते हुए सरकार जनसहयोग से सकारात्मक बनाने के भरसक प्रयास करे. विकास के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटना जितना आसान ही उतना ही कठिन पौधों को पेड़ बनाना.
बरसों से जो पेड़ पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोग करते हैं उन्हें हजारों की तादाद में विकास के लिए निर्ममता से काट दिया जाता है. पौधारोपण-वृक्षारोपण के साथ ही पुनः वृक्षारोपण (रीप्लान्टेशन) को भी उतनी ही तवज्जो देनी चाहिए. ताकि विकास के लिए वृक्ष काटने की बजाय उन्हें अन्यत्र पुनः रोपित किया जाकर उनसे मिले वाली हरियाली बरक़रार रखी जा सके. जहाँ औद्योगिक नगरी बसाई जाए या बसी हुई है वहां वृक्षारोपण अनिवार्य कर दिया जाए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वृक्षारोपण या पौधारोपण ओपचारिक नहीं बल्कि उसकी देखभाल भी जिम्मेदारी से की जाये. तभी वृक्षारोपण सफल भी होगा और लाभदायक भी साथ ही पर्यावरण को संतुलित करने का सार्थक कदम भी.....शकुंतला महेश नेनावा,