''तीन बुलडोजर प्रदेश' ........

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तीन बुलडोजर प्रदेश ........
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यूँ तो अतिक्रमण हटाने के लिए हर प्रदेश की सरकारें बुलडोजर का उपयोग करती चली आई हैं और कर रही है. किन्तु अवैध अति-अतिक्रमण जब प्रदेशों में फैलने लगा तो युद्व स्तर पर बुलडोजर का उपयोग होने लगा. ख्यातमान पहला स्थान उत्तर प्रदेश, दूसरा मध्यप्रदेश और अब तीसरे स्थान पर उत्तराखंड आने वाला है क्योंकि उसने भी 'अवैध अति-अतिक्रमण" हटाने के लिए बुलडोजर के उपयोग की युद्व स्तर पर तैयारी कर ली है. हालांकि गाँवों,शहरों और महानगरों में जो अतिक्रमण बढ़ा है वो एक रात में तो नहीं हुआ. छोटे-छोटे ओटले, गुमटियां, झोपड़िया,मकान और यहाँ तक कि बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं तो अवैध रूप से निर्मित हो गई व जरूरतमंदों को बेच दी गई. इनमे बरसों लगे होंगे।

मतलब साफ़ है कि बिना मिलभगत या भ्रष्टाचारी अथवा अवैधानिक दबाव के चलते तो कुछ नहीं हो सकता. भले ही "कानून अंधा होता है" परन्तु सरकार के हाथ तो बहुत लम्बे होते हैं ना. क्योंकि उसके साथ बहुत बड़ा स्थानीय प्रशासन जो जुड़ा होता है. थोड़ी सरकारी बेपरवाही पर भी सरकारें लगाम कसने के प्रयास करे ताकि अतिक्रमण की प्रथा पनपने ही साथ बंद हो साथ ही वे लोग भी ना डूबें जिन्होंने अपनी जिंदगी की कमाई झोपडी, मकान व फ्लेट में लगा दी दुकान व रहवास के लिए माना कि गलती क्रेताओं की भी है जिन्होंने बिना जांचे-परखे खरीदारी की. फिर भी सरकार अपना फर्ज ईमानदारी से निभाए तो ना अतिक्रमण की बाढ़ आएगी और न ही ..न समझी करने वाले उस बाढ़ में डूबने पाएंगे.......


शकुंतला महेश नेनावा

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