"कर्ज उतारने की बजाय फर्ज निभाने की बात करे सोनियाजी''......

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कर्ज उतारने की बजाय फर्ज निभाने की बात करे सोनियाजी......
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राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के डूबते सूरज को उदयमान करने के प्रयास हेतु तीन दिन के चिंतन शिविर में देशभर से पार्टी के विद्वानजन एकत्रित हुए हैं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पहले दिन सबसे कहा कि पार्टी ने आपको बहुत कुछ दिया है अब कर्ज उतरने का समय आ गया है. बात सही है ७० सालों में कांग्रेस ने सभी को जी भरकर दिया है. इतना ज्यादा दिया कि वे सत्ता की कुर्सी के मोह में पार्टी के लिए जनता के फर्ज से ही मोहभंग कर बैठे. काश यदि वे सिंहांसन से उतारकर थोड़ा सड़क के लोगों से याने जमीन से भी जुड़े होते तो आज पार्टी की इतनी दयनीय स्थिति नहीं होती.

दूसरी एक और महत्वपूर्ण बात है कि यदि पार्टी के लोग परिवारवाद से ऊपर उठकर पार्टी के हित में बहुत पहले से ही बेहतर सुझाव देने की कोशिश करते (जिसकी संभावनाएं आज भी कहीं रही है) तो कांग्रेस ७० आगे बढ़कर कई सालों के लिए इतनी पीछे नहीं जाती। याने झेड तक पहुँचने के बाद उसे फिर से एबीसीडी नहीं करनी पड़ती और न ही बरम्बार चिंतन शिविर लगाकर चिंता करने की जरुतत ही पड़ती. कांग्रेस में राजनीति के ज्ञाता, सत्ता के गुरुओं और संगठन को शक्तिशाली बनाने वालों की कमी नहीं है कमी है तो केवल परिवारवाद से बाहर निकलने और हाँ-में-हाँ मिलाने वालों से दूर रहने की है. अगर कांग्रेस के विद्वान इस अभाव को दूर करने का प्रयास करें तो कांग्रेस पार्टी का उद्वार उदयपुर से आरम्भ हो सकता है और रसातल की ओर बढ़ती पार्टी की धारा रुक सकती है और देश को कम से कम एक बेहतर विपक्ष मिल सकता है जो कि सरकार को राष्ट्र के विकास में सहयोग देने और लोकतंत्रीय परम्परा स्वस्थ रखने में जरुरी भी है. ...... शकुंतला महेश नेनावा,

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