''बिहार में छात्रों का बवाल कितना उचित/अनुचित ?''........

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बिहार में छात्रों का बवाल कितना उचित/अनुचित ?........

केंद्र सरकार की सेना में ''अग्निपथ'' योजना के अंतर्गत चार वर्ष के लिए जवानों की भर्ती के विरोध में बिहार में छात्रों का बवाल शुरू हो गया. उनका कहना है कि पहले दो साल से सेना में भर्ती के मामले को बहाल किया जाकर भर्ती आरम्भ की जाए. क्योंकि अभ्यर्थियों की उम्र बार (एज बार) हो रही है. उनका कहना सही है. जब सरकार किसी भी संस्था में नौकरी के लिए आवेदन जुटाती है तो उसकी भर्ती प्रक्रिया की भी समय-सीमा तय करनी चाहिए। अगर कोई वैधानिक बाधा आती है तो उसे भी शीघ्र सुलझा लेना चाहिए ताकि वक्त पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाए.


देश और प्रदेश में सरकारी भर्ती या चयन आयोग बारम्बार किसी न किसी कारण भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते जाते है जिससे अभ्यर्थी असमंजस्य स्थिति में रह जाते हैं. अगर हां/न का परिणाम शीघ्र और समय आ जाए तो असफल अभ्यर्थी अन्य जगह नौकरी पाने की प्रक्रिया में शामिल होने पर विचार कर सकें. केंद्र सरकार को पूरे देश में विभिन्न विभागों/संस्थानों में रिक्त पदों पर पर भर्ती प्रक्रिया के लिए एक गाइडलाइन बनाये और उसका पालन करने के लिए सभी कोबाद्य करे ताकि ताकि नौकरी पाने वाले के साथ हो रहे बरसों इन्तजार और उम्र बार (एज बार) होने की समस्या से उन्हें निजात मिल सके एवं वे अपना उज्जवल भविष्य अन्यत्र मोड़ सकें. सरकार की सेना में अग्नीपथ योजना अच्छी है किन्तु पूर्व की भर्ती को भी उसे पहले पूरा कर लेना चाहिए ताकि किसी तरह का विवाद न उठाने पाए. आखिर क्यों ''अग्निपथ'' योजना के लागू होने से पहले ही बिहार में विरोध के कारण सड़कों पर सरकार और छात्रों की ''अग्निपरीक्षा" शुरू हो गई. इस पर विचार करना चाहिए साथ ही भविष्य में कर्मचारी चयन परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया पर भी उचित निर्णय लेना चाहिए ताकि समय पर वे पूरी हो सकें ताकि अभ्यर्थी असमंजस्य में न होने पाएं और समय रहते अपने भविष्य के लिए नई राह ढूंढ सकें.


एक महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी समस्या का हल बवाल नहीं होता, उसे छात्र हो या कोई संगठन,, संस्था हो या सम्प्रदाय उन्हें इसके लिए शान्ति, अहिंसा, व संवैधानिक तरीके से सौहार्द्रपूर्वक सरकार से बातचीत करके निपटाना चाहिए. .....


शकुंतला महेश नेनावा

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