फिल्मों को पढ़ने का तरीका विस्तार से पढ़ने के लिए आप जुड़े रहे बचपन एक्सप्रेस के साथ।

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फिल्मों को पढ़ने का  तरीका  विस्तार से पढ़ने के लिए आप जुड़े रहे बचपन एक्सप्रेस के साथ।
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जबसे फिल्मों का विकास हुआ है तब से अब तक फिल्म को समझने और उसके बारे में लिखने के तरीके में काफी बदलाव आया है। फिल्म का इतिहास भारत में विश्व के इतिहास के साथ चलता रहा है 1895 में जब लुमियर ब्रदर्स ने फ्रांस में अपनी फिल्मों का प्रदर्शन किया उसके कुछ दिनों बाद ही 1896 में भारत में लुमियर ब्रदर्स ने मुंबई में आकर होटल वाटसन में अपनी फिल्मों का शो किया।

भारत में सिनेमा का इतिहास 1913 से शुरू होता है जब दादा साहब फाल्के अपनी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाते हैं ।इस फिल्म के साथ है भारत में मूक फिल्म बनाने का दौर चल पड़ता है और करीब ढाई हजार फिल्में 1931 तक बन जाती है।

मूक फिल्मों के दौर में ज्यादातर फिल्में या तो रामायण, महाभारत और हमारे इतिहास से जुड़े हुए पात्र, हमारे देवी देवता उनसे जुड़े सैकड़ों की संख्या में कहानियां, फिल्मों का मुख्य हिस्सा बन जाती है।

फिल्में हमें अपनी संस्कृति, समाज के नियम और उन चाहे अनचाहे हिस्सों से जोड़ती हैं जिनका समाज कभी-कभी पालन करता है और कहीं विरोध करता है।

इन फिल्मों ने कभी हमें राजा हरिश्चंद्र के जीवन और उनके संघर्ष के बारे में बताया तो कभी समाज की उन बुराइयों को हम लोगों को दिखाने का प्रयास किया जो हमारे समाज को बांटने का काम करती है।

मूक फिल्मों के दौर के बाद बोलती फिल्में आ जाती हैं ,और 1931 में अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित फिल्म आलम आरा हमें उस दुनिया में लेकर जाता है जिसे हम किस्से कहानियों की दुनिया कहते हैं, पर उसे सुनने और देखने का तरीका पूरी तरह से बदल जाता है।

अभी तक हमने कहानियां अपने माता -पिता, दादा -दादी, नाना- नानी, के मुंह से सुनी थी, और कहानियां उनकी कल्पनाओं और शब्दावली के बीच कभी प्रभावशाली तो कभी नीरस होती थी पर उन सभी के सुनाने का ढंग अलग अलग था।

आज के दौर में जब हम सिनेमा देखते हैं तो इसे समझने का प्रयास करते हैं जिसके लिए हमें सिनेमा के ग्रामर को समझना जरूरी है।

फिल्मों के विश्लेषण को हम मूलतः चार भागों में बांट सकते हैं पहला भाग है

१) सेमिऑटिक एनालिसिस (Semiotic Analysis)

२) नैरेटिव एनालिसिस (Narrative Analysis)

३) कल्चरल या हिस्टॉरिकल एनालिसिस (Cultural or Historical Analysis)

४) मिज़् -आन - से एनालिसिस (Mise-en-Scene Analysis)

इन सभी फिल्म एनालिसिस के प्रकार के बारे में आपसे चर्चा चलती रहेगी इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए आप जुड़े रहे बचपन एक्सप्रेस के साथ।

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