''दुखद घटनाओं से सबक लें लोग''

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दुखद घटनाओं से सबक लें लोग

चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत के साथ ही उनकी पत्नी मधुलिका रावत और ११ अन्य अधिकारी की दुखद मृत्यु मौसम ख़राब (कोहरा) होने के कारण उनके हेलीकॉप्टर के क्रेश होने से हो गई. दुर्घटना किसी भी कारण से हो सकती है. फिर वो चाहे मानवीय भूल हो या तकनीकी त्रुटि अथवा मौसम की खराबी या प्राकृतिक विपदा हो. आकस्मिक प्राकृतिक विपदा पर इंसान का वश अत्यधिक आधुनिक संसाधनों के बावजूद भी बहुत ही कम है. किन्तु मानवीय भूल,तकनीकी त्रुटि व मौसमी खराबी से तो सावधान अथवा सतर्क रहा जा सकता है और उसे परखा जाकर व त्वरित निर्णय लिया जाकर अनहोनी से बचा और बचाया जा सकता है. फिर चाहे आसमानी आफत का अंदेशा हो या पानी से सावधान रहने का व सड़क परिवहन से सम्बंधित घटनाओं से बचने का. वाहन छोटे हों या बड़े, सामान्य हो या विशेष उनके टेक्नीकल रखरखाव पर भी हमेशा ध्यान देना जरुरी है. उसमें की ज़रा सी भी लापरवाही जान की दुश्मन बन सकती है. मौसम की खराबी को भी भांपा जाकर तुरंत सही निर्णय लिया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कहीं पहुँचने की जल्दबाजी भी बहुत सी गलतियों को इंसानी फितरत नजरंअदाज कर देती है जिससे अनहोनियां को बेवजह न्यौता मिल जाता है. अतः हम अगर सावधानी व सतर्कता बरतें, जल-थल-नभ का माहौल व मिजाज समय रहते पहचान लें व वाहन चलाते समय लापरवाही न बरतें तो स अनेकानेक संभावित घटनाओं को रोका जा सकता है. दो पहिया वाहन हो या चार पहिया, अथवा हवा में उड़ने वाला या पानी में चलने वाला जहाज हो,चलाने वाले ''ड्राइवर'' की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है अगर ''चालक'' सावधानी और ''चालाकी'' बरते तो अकाल दुर्घटनाओं को बहुत हद तक रोका जा सकता है और खुद के साथ ही औरों की भी अनमोल जिंदगी व उनके माल की रक्षा की जा सकती है. अंत में न तो ''ड्राइवर'' पर सवारियों को अनावश्यक दबाव डालना चाहिये और न ही ड्राइवर को अपना मानसिक संतुलन खोना चाहिए ताकि सभी की यात्रा सुखद और सफल हो सके.

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