चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आप की भारी जीत
चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आप को भारी जीत से आप पार्टी में खुशी की लहर है।सोमवार को निकाय चुनाव में केजरीवाल की आप पार्टी ने बाजी मारी।भाजपा दूसरे नम्बर...
चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आप को भारी जीत से आप पार्टी में खुशी की लहर है।सोमवार को निकाय चुनाव में केजरीवाल की आप पार्टी ने बाजी मारी।भाजपा दूसरे नम्बर...
चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आप को भारी जीत से आप पार्टी में खुशी की लहर है।सोमवार को निकाय चुनाव में केजरीवाल की आप पार्टी ने बाजी मारी।भाजपा दूसरे नम्बर पर रही है।कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी खींचतान से पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई है।आप ने निकाय चुनाव में पूरा जोर लगाया।जिससे उसको 14 सीटे मिली।आप का बढ़ता दायरा सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
दूसरी और भाजपा ने पूरा जोर लगाया।वह दूसरे नम्बर पर धकेल दी गई।आप ने भाजपा को टक्कर दी है परंतु कांग्रेस तीसरे स्थान पर धकेलने से कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।आप जमीनी स्तर पर कार्य को अंजाम नही देती है।केजरीवाल के पास चुनाव जितने का नायाब तरीका है।मतदाताओ को पानी,बिजली और खाद्यान्न सामग्री में रियायत की ऑफर देकर चुनाव जीतने की एक कला है।वो मूलभूत सुविधा मुहैया कराकर सीटे हासिल करते है। वही कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान से परेशान मतदाताओ ने तीसरा विकल्प चुना है।कांग्रेस फुट में तीसरे स्थान पर धकेल दी गई।लेंकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।क्योंकि यह ट्रेलर है।किसान आंदोलन के निहितार्थ यह देखा गया है कि किसान आंदोलन से चंडीगढ़ निकाय चुनाव का कोई असर नही है। किसान आंदोलन में कांग्रेस ने जानबूझकर टांग अड़ाई की है।किसान कांग्रेस के साथ होते से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आती। चंडीगढ़ के निकाय चुनाव में कांग्रेस को अच्छी सीटे मिलने की उम्मीद थी। लेकिन मतदाताओ ने तीसरा विकल्प चुना है।आप सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी है।कांग्रेस और भाजपा को नए सिरे से मंथन करने की जरूरत है। आपपहली बार चुनाव लड़ने के बाद भी 14 सीटे हासिल की है।इसमें कही न कही सत्तारूढ़ कांग्रेस से नाराजगी ही बड़ा कारण है।सिधु और अमरिन्दर सिंह के बीच शाब्दिक तलवार खींची,जिसे अमरिन्दर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा।उसके बाद भी पंजाब के समीकरण बदलने की जगह और ज्यादा बिगड़ने लगे। दलित मुख्यमंत्री को पंजाब के नए सीएम बनाए जाने के बाद भी सत्तारूढ़ कांग्रेस तीसरी पार्टी के तौर पर सामने आई है।जिससे मतदाताओ के मन मे तीसरे विकल्प की चाहत थी।उसे लेकर आए।मतदाता सबसे बड़ा निर्णायक होता है।राजनीतिक पार्टियां मतदाताओ को कितना भी गुमराह करने की कोशिश करें।मतदाता सब समझते है।
*कांतिलाल मांडोत*