राहुल ने चुनाव अभियान शुरू कर गुरुद्वारे में और मन्दिर ने मत्था टेका,सबसे पहले की अरदास
पंजाब मेंआपसी कलह से जूझ रही कांग्रेस को उबारने के लिए और पंजाब का किला फतह करने के लिए राहुल गुरुद्वारे और मंदिरों के चक्कर लगा रहे है।विभिन्न...
पंजाब मेंआपसी कलह से जूझ रही कांग्रेस को उबारने के लिए और पंजाब का किला फतह करने के लिए राहुल गुरुद्वारे और मंदिरों के चक्कर लगा रहे है।विभिन्न...
पंजाब मेंआपसी कलह से जूझ रही कांग्रेस को उबारने के लिए और पंजाब का किला फतह करने के लिए राहुल गुरुद्वारे और मंदिरों के चक्कर लगा रहे है।विभिन्न मंदिरों और गुरुद्वारे में मत्था टेक कर राहुल ने चुनावी अभियान शुरू किया ।राहुल ने सबसे पहले अरदास की है।पंजाब में 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव है।नवज्योतसिह सिध्धु और कैप्टन के राजनीतिक रिस्ते में कड़वाहट फैल गई थी।कैप्टन को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।राजस्थान में जयपुर में हिन्दू और हिंदुत्ववादी का शिफुगा छोड़ राजनैतिक में हलचल पैदा करने वाले राहुल की कांग्रेस का खिसकता जनाधार के मधेनजर मंदिर और गुरुद्वारे का चक्कर लगाना शुरू कर दिया है कांग्रेस मुसलमानो की पार्टी कहने वाले राहुल को मंदिर और गुरुद्वारा क्यो याद आया है।राहुल गांधी राजनीतिक विरासत का एक बंदी है जो एक जिम्मेदार बेटा होने के नाते इच्छा व क्षमता न होते हुए भी माँ की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है।पर एक बंदी कभी भी पार्टी को सत्ता में नही ला सकता ।जिम्मेदारी तो अब राज्यो में बैठे दमदार क्षत्रपों को ही निभानी पड़ेगी।पंजाब में कैप्टन अमरेन्दरसिह के नेतृत्व में पार्टी की जीत ने यह साबित कर दिया था कि एक नेता जिस दूरदर्शिता,तुरंत फैसले लेने की क्षमाता,साहस व लोगो को अपने साथ जोड़ने की क्षमता होनी चाहिए वह किसी और में नही दिखती है।क्योंकि जिस धरातल से और हारी हुई कांग्रेस को जीत में तब्दील करने वाले कैप्टन कांग्रेस में नही है।भारतीय राजनीति का ताकतवर नेता है जिसे पटकनी कुटिल राजनीति के जानकार ही दे सके।सच्चे हीरे की पहचान करने में जौहरी मात खा गए।अब कैप्टन की बारी है।मोदी अमित की जोड़ी से कांग्रेसी नाकाम हो रहे है।सोनिया गांधी अपने बेटे की कमजोरी जानतीहै।इसलिए अध्यक्ष पद अपने पास रखा है।प्रधानमंत्री पद त्यागने वाली सोनिया गांधी के त्याग और बलिदान की छवि दैदीप्यमान हुई है।राहुल गांधी नेहरू गांधी परिवार के एक ऐसे और अंतिम व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा।पार्टी को आगे ले जाने की किस तरह क्षमता रखते है।भाजपा का कांग्रेस में कई राज्यो में सीधा मुकाबला नही है।पंजाब में तीसरा पक्ष खड़ा हुआ है।जो भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।कांग्रेसियों को समझ लेना चाहिए कि भितरघात का समय अब जा चुका है।कांग्रेस में बना रहना है तो सब को एकजुट रहकर ही चलना पड़ेगा।पंजाब कांग्रेस में कई महीनों से चली आ रही उठापठक से नेताओ को कुर्सी का मोह है जिससे उनको फर्क नही पड़ता है।लेकिन जनता जनार्दन सब समझती है।पंजाब ईस्ट सबसे हॉट सीट बन गई है।सिद्दु और मजीठिया में जंग से आने वाला परिणाम हार जीत फाइनल करेगा।पहली बार किसी एक दिग्गज नेता की हार निश्चित है।राहुल गांधी ने गुरुद्वारे और मंदिरों के बढ़ते फेरे से मतदाताओ को खुश करने की कवायद शुरू हो गई है।पंजाब में पानी,बिजली,शिक्षा और रोजगार से जूझते मतदाता निर्णायक साबित होंगे।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*